गुरु नानक साहब की वाणी / 04
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज प्रमाणित करते हुए "संतवाणी सटीक" भारती (हिंदी) पुस्तक में लिखते हैं कि सभी संतों का मत एक है। इसके प्रमाण स्वरूप बहुत से संतों की वाणीओं का संग्रह कर उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया हैं। इसके अतिरिक्त भी "सत्संग योग" और अन्य पुस्तकों में संतवाणीयों का संग्रह है। जिसका टीकाकरण पूज्यपाद लालदास जी महाराज और अन्य टीकाकारों ने किया है। यहां "संतवाणी-सुधा सटीक" में प्रकाशित भक्त संत श्री गुरु नानक साहब की वाणी ''सब किछु घर महि बाहरि नाहीं। बाहरि टोलै सो भरमि भुलाहीं।..'' का शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी पढ़ेंगे। जिसे पूज्यपाद पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने लिखा है।
संत सद्गुरु नानक साहब जी महाराज की इस God भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन,भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) "सब किछु घर महि बाहरि नाहीं,..." में बताया गया है कि- ईश्वर को कहां खोजना चाहिए? कहां खोजने से ईश्वर जल्दी मिलेंगे? ईश्वर-भक्ति कैसे करनी चाहिए? इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला गया है। ईश्वर-भक्ति से परम संतुष्टि दायक सुख की प्राप्ति होती है। हर चीज से तृप्ति मिल जाती है। किसी चीज की चाहना नहीं रहती, मन पूर्ण काम हो जाता है। सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ उत्तर इस भजन में दिया गया है जैसे कि- सब कुछ अपने शरीर के अंदर ही है। बाहर में परमात्मा को खोजना अपने आपको धोखे में रखने के जैसा कि- नानक bhajan list, नानक poems with meaning, nanak ke poems small with meaning,nanak ke pad hindi mai, ishwar bhakti channel,ishwar bhakti Bhajan,ishwar bhakti geet,भक्ति, भक्ति के गाने, भक्ति के गाना, भक्ति के भजन, भक्ति के गीत, भक्ति के गाना वीडियो, भक्ति के प्रकार, आदि बातें।
इस भजन के पहले वाले भजन "काहे रे बन खोज जाई...' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
धन्य गुरु नानक साहब |
संत नानक देव जी महाराज कहते हैं कि "सब कुछ अपने शरीर के अंदर ही है। बाहर में परमात्मा को खोजना अपने आपको धोखे में रखने के जैसा है। गुरु के कृपा से जो भजन करने का भेद को जो जानता है, उसके लिए अंदर और बाहर एक जैसा हो जाता है।.Where do god-devotion? "सब किछु घर महि बाहरि नाहीं।..." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का भावार्थ किया गया है; उसे पढ़े-
गुरु नानक साहब की वाणी
॥ मूल पद्य ॥
सब किछु घर महि बाहरि नाहीं । बाहरि टोलै सो भरमि भुलाहीं ॥ गुर परसादी जिनि अंतरि पाइआ । सो अंतरि बाहरि सुहेला जीउ ॥१ ॥ झिमि झिमि बरसै अंम्रित धारा । मनु पीवै सुनि शबदु विचारा ॥ ऐअनद विनोद करे दिन राती । सदा सदा हरि केला जीउ ॥२ ॥ जनम जनम का बिछुड़िआ मिलिआ । साध क्रिपा ते सूका हरिआ ॥ सुमति पाए नामु धिआए । गुरमुखि होए मेला जीउ ॥३ ॥ जल तरंग जिउ जलहि समाइआ । तिउ जोती संगि जोति मिलाइआ ॥ कहु नानक भ्रम कटे किवाड़ा । बहुरि न होइझै जउला जीउ ॥४ ॥
भावार्थ -
बाबा लालदास जी |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर को कहां खोजना चाहिए? कहां खोजने से ईश्वर जल्दी मिलेंगे? ईश्वर-भक्ति कैसे करनी चाहिए? इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला गया है। ईश्वर-भक्ति से परम संतुष्टि दायक सुख की प्राप्ति होती है। हर चीज से तृप्ति मिल जाती है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
नानक वाणी भावार्थ सहित
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नानक वाणी 04 । Where do god-devotion । सब किछु घर महि बाहरि नाहीं । भावार्थकार- लालदास जी महाराज
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/27/2020
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