महर्षि मेंहीं पदावली / 61
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 61वां पद्य "खोज करो अंतर उजियारी।...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "खोज करो अंतर उजियारी।..." में बताया गया है कि- ध्यान योग में प्रकाश कितने प्रकार के दिखाई पड़ता है, ध्यान अभ्यास में और क्या-क्या दिखाई पड़ता है? प्रकाश के गुण,प्रकाश,प्रकाश के प्रकार,प्रकाश के स्रोत,प्रकाश की परिभाषा, प्रकाश की प्रकृति, अंत:प्रकाश क्या है, अंतः प्रकाश,अंतर प्रकाश क्या है,क्या है आखिर ध्यान में प्रकाश का रहस्य, ध्यान में होने वाले अनुभव,प्रकाश रश्मियों की विज्ञान सम्मत ध्यान,जब ध्यान में बैठा जाये, तो क्या देखें,ध्यान योग प्रकाश,प्रकाश से जुड़ी खोज,ध्यान का महत्व,ध्यान की विशेषता,ध्यान प्रकार,योग एवं ध्यान का व्याख्या, आदि बातें।
अंतः प्रकाश को देखते हुए गुरुदेव
Meditation Inner light description
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "नीचे की दिशा, ऊपर की दिशा, दायीं ओर, बायीं ओर और सिर के पीछे की दिशा-- इन 5 दिशाओं को छोड़कर छठी ओर अर्थात आगे की ओर (सामने) बंद दोनों आंखों के ठीक मध्य अंधकार में दोनों दृष्टि धारों को जोड़कर एक ज्योतिर्मय बिंदु उदित करो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 61और शब्दार्थ। अंतः प्रकाश वर्णन।
पदावली भजन 61 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। ध्यानाभ्यास में प्रकाश।
पदावली भजन 61 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त।
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
आवश्यक नोट-
* ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. बिंदु पर एकाग्र करना और उसमे लीन हो जाना ध्यान है। ध्यान में कई रंगों के प्रकाश दिखाई पड़ते हैं।उसी अंतः प्रकाश का वर्णन इस पद्य में किया गया है।
* प्रकाश बिद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का एक भाग है । जो हमे बस्तुओं को देखने की सामर्थ्य प्रदान करता है । प्रकाश का अर्थ एक प्रकार की चुम्बकीय तरंगो या ऊर्जा से है, जिसे हम आँखों से देख सकते है| जो हमारी आँखों को संवेदित करता है। प्रकाश जब हमारी आँख की रेटिना पर पड़ता है, तो इसके रेटिना पर गिरने से दृष्टि संवेदना उत्पन्न होती है और हमें वस्तुएं दिखाई देती है।प्रकाश एक प्रकार की अनुप्रस्थ तरंग है।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि ध्यान योग में प्रकाश कितने प्रकार के दिखाई पड़ता है, ध्यान अभ्यास में और क्या-क्या दिखाई पड़ता है? प्रकाश के गुण,प्रकाश,प्रकाश के प्रकार,प्रकाश के स्रोत,प्रकाश की परिभाषा, प्रकाश की प्रकृति, अंत:प्रकाश क्या है इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली..
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इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "खोज करो अंतर उजियारी।..." में बताया गया है कि- ध्यान योग में प्रकाश कितने प्रकार के दिखाई पड़ता है, ध्यान अभ्यास में और क्या-क्या दिखाई पड़ता है? प्रकाश के गुण,प्रकाश,प्रकाश के प्रकार,प्रकाश के स्रोत,प्रकाश की परिभाषा, प्रकाश की प्रकृति, अंत:प्रकाश क्या है, अंतः प्रकाश,अंतर प्रकाश क्या है,क्या है आखिर ध्यान में प्रकाश का रहस्य, ध्यान में होने वाले अनुभव,प्रकाश रश्मियों की विज्ञान सम्मत ध्यान,जब ध्यान में बैठा जाये, तो क्या देखें,ध्यान योग प्रकाश,प्रकाश से जुड़ी खोज,ध्यान का महत्व,ध्यान की विशेषता,ध्यान प्रकार,योग एवं ध्यान का व्याख्या, आदि बातें।
अंतः प्रकाश को देखते हुए गुरुदेव |
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पदावली भजन 61और शब्दार्थ। अंतः प्रकाश वर्णन। |
पदावली भजन 61 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। ध्यानाभ्यास में प्रकाश। |
पदावली भजन 61 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त। |
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आवश्यक नोट-
* ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. बिंदु पर एकाग्र करना और उसमे लीन हो जाना ध्यान है। ध्यान में कई रंगों के प्रकाश दिखाई पड़ते हैं।उसी अंतः प्रकाश का वर्णन इस पद्य में किया गया है।
* प्रकाश बिद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का एक भाग है । जो हमे बस्तुओं को देखने की सामर्थ्य प्रदान करता है । प्रकाश का अर्थ एक प्रकार की चुम्बकीय तरंगो या ऊर्जा से है, जिसे हम आँखों से देख सकते है| जो हमारी आँखों को संवेदित करता है। प्रकाश जब हमारी आँख की रेटिना पर पड़ता है, तो इसके रेटिना पर गिरने से दृष्टि संवेदना उत्पन्न होती है और हमें वस्तुएं दिखाई देती है।प्रकाश एक प्रकार की अनुप्रस्थ तरंग है।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
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महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P61, Meditation Inner light description "खोज करो अंतर उजियारी।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/04/2020
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