'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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P114, Characteristics of ancient guru "सम दम और नियम यम दस दस।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 114वांपद्य "सम दम और नियम यम दस दस।....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज और पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "सम दम और नियम यम दस दस,..." में बताया गया है कि- पूरे एवं सच्चे सद्गुरु की प्राप्ति से क्या-क्या लाभ होते हैं? संत सद्गुरु शिशु को क्या-क्या प्रदान करते हैं। इत्यादि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- सद्गुरु से होने वाले लाभ,सद्गुरु का परिचय, Sadhguru Intro, Sadhguru Hindi, कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता क्यों नहीं,सफल होने की एक शानदार ट्रिक,सद्गुरु प्रवचन,सद्गुरु वीडियो,प्राचीन गुरु की विशेषताएं,गुरु और शिष्य का रिश्ता, गुरु शिष्य संबंध निबंध,गुरु शिष्य सम्बन्ध पर निबंध,गुरु और शिष्य का पारस्परिक संबंध,गुरु शिष्य की कहानियाँ,गुरु शिष्य परंपरा मराठी,गुरु शिष्य परंपरा पर निबंध,गुरु की परिभाषा,गुरु दक्षिणा की परंपरा,शिष्य के गुण,गुरु दक्षिणा की कहानी।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "10-10 यम-नियम दम (इंद्रिय-निग्रह) और शम (मनोनिग्रह) ये सब सद्गुरु की कृपा से धीरे-धीरे सधते हैं।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन नंबर 114
पदावली भजन नंबर 114 का शब्दार्थ और भावार्थ।
पदावली भजन नंबर 114 का शेष पद्यार्थ।
पूज्यपाद श्रीधरदास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
पदावली भजन नंबर 114 का शब्दार्थ।
पदावली भजन नंबर 114 का पद्यार्थ।
यम किसे कहते हैं
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 114 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना किपूरे एवं सच्चे सद्गुरु की प्राप्ति से क्या-क्या लाभ होते हैं? संत सद्गुरु शिशु को क्या-क्या प्रदान करते हैं।इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग कासदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
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Reviewed by सत्संग ध्यान
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3/01/2020
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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