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नानक वाणी 27, Guru Vaanee mein Surat Shabd Yog kee charcha ।। भजन भावार्थ सहित

गुरु नानक साहब की वाणी / 27

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है।  इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा  श्री गुरु नानक साहब जी महाराज   की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद  छोटेलाल दास जी महाराज ने लिखा है। 

इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद)  में बताया गया है कि- मन स्थिरता कब पाता है? व्यक्ति गर्भ में कब नहीं आता है? 9 दरवाजे कौन-कौन हैं? दसवां द्वार क्या है? दसवां द्वार कैसा है, उसका क्या गुण है? गुरु युक्ति से क्या मिलता है? दसवां द्वार के अंदर क्या है? अंतर्मुखी भक्तों का पहचान क्या है?   इन बातों की जानकारी  के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- सुरत निरत क्या है, सूरत शब्द का अर्थ, निरति का अर्थ, निरत का अर्थ, शब्द युग्म, सतगुरु का अर्थ, सुरत शब्द अभ्यास, सूरत शब्द योग, सूरत शब्द का अर्थ, सुरत शब्द योग पीडीऍफ़, सुरत शब्द साधना, सुरत शब्द का अर्थ, सुरत शब्द योग मेडिटेशन तकनीक, सुरत निरत का अर्थ,  आदि बातें। इन बातों को जानने के पहले, आइए !  सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें। 

इस भजन के पहले वाले भजन ''तदि अपना आपु आप ही उपाया,......'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं


सुरत शब्द योग पर चर्चा करते सतगुरु बाबा नानक साहिब जी महाराज

Discussion of Surat word yoga in Nanak Vani

सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि- " What is Surat Nirat, meaning of Surat word, meaning of Nirati, meaning of Nirat, word combination, meaning of Satguru, Surat word practice, Surat word yoga, Surat word meaning, Surat word yoga pdf, Surat word sadhana, Surat word  Meaning, Surat word Yoga meditation technique, Surat Nirat meaning,.... " इसे अच्छी तरह समझने के लिए गुरु वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-


।। अध्याय १५ , राग भैरउ , महला १  ।।

पंच मिलै अस्थिर मनु पावै । पंच मिलै गरभ जोनि न आवै ॥ 

भावार्थ - पंच केन्द्रीय नादों के मिलने पर मन स्थिरता प्राप्त करता है । पंच केन्द्रीय नादों के मिलने पर कोई फिर गर्भ और चौरासी लाख योनियों के चक्कर में नहीं पड़ता । 


॥ महला २ , पउड़ी ॥ ( शब्द १ ) 

नउ दरवाजे काइआ कोट है , दसवे गुपतु रखीजै ॥ 
बजर   कपाट  न  खुलनी ,   गुर सबदि खुलीजै ॥ 
अनहद  बाजे  धुनि  बजदे ,  गुर सबदि सुणीजै ॥ 
ततु घर  अंतरि चानणा ,   करि भगति मिलीजै ॥ 
सभ महिं एकु वरत दा , जिनि आपे रचन रचाई ॥ 

शब्दार्थ - नउ दरवाजे शरीर के नौ द्वार - आँख , कान और नाक के दो - दो छिद्र तथा मुँह , लिंग और गुदा का एक - एक छिद्र । काइआ - काया , शरीर । कोट - किला । बजर कपाट - वज्र की तरह कठोर ( मजबूत ) किवाड़ , नयनाकाश का अंधकाररूप आवरण । ततु - तत्त्व , तत् , वह । अंतरि - अंतर में । चानणा - प्रकाश । आपे - स्वयं । रचन - रचना , सृष्टि । 

भावार्थ - शरीर - रूपी किले में नौ द्वार हैं । दसवाँ द्वार परमात्मा - द्वारा गुप्त रखा गया है । दसवें द्वार पर वज्र की तरह का कठोर लगा हुआ अंधकार का किवाड़ यों ही नहीं खुल जाता , गुरु के शब्द ( उपदेश , ज्ञान , युक्ति ) से खुल जाता है । अंदर में अनहद ध्वनियों के बाजे बजते हैं । वे गुरु के शब्द ( गुरु से पायी गयी युक्ति के अभ्यास ) से सुनी जाती है । उस घर में ( दशम द्वार में ) प्रकाश हो रहा है । अंतर्मुख होने की भक्ति करके उस परमात्मा से मिल लीजिए ।। वह परमात्मा सब सृष्टियों में एक समान बरत रहा है - व्याप्त हो रहा है , जिसने कि उन सब सृष्टियों को स्वयं बनाया है । ॥ 

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इस भजन के बाद वाले भजन  ''जे सउ चंदा उगवहि,....''   को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।

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नानक वाणी भावार्थ सहित

संतवाणी-सुधा सटीक, पुस्तक, स्वामी लाल दास जी महाराज टीकाकृत
संतवाणी-सुधा सटीक
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नानक वाणी 27, Guru Vaanee mein Surat Shabd Yog kee charcha ।। भजन भावार्थ सहित नानक वाणी 27, Guru Vaanee mein Surat Shabd Yog kee charcha ।। भजन भावार्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 1/20/2021 Rating: 5

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