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नानक वाणी 38, Gupt Hari Naam kaise milata hai ।। रामा रम रामो सुनि मनु भीजै ।। भजन भावार्थ सहित

 गुरु नानक साहब की वाणी / 38

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है।  इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा  श्री गुरु नानक साहब जी महाराज   की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद  छोटेलाल दास जी महाराज ने लिखा है। 

इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद)  में बताया गया है कि- अपनी सूरत को किस में लीन करना चाहिए? राम नाम मिलने पर क्या होता है ? गुप्त हरि नाम कैसे मिलता है? राम नाम किस रूप में शरीर के अंदर में रहता है?  किस द्वार में राम नाम मिलता है? शरीर में कितने द्वार हैं? शरीर रूपी सुंदर नगर में अमृत रस क्या है? लाल रत्न को कौन प्राप्त कर सकता है? सतगुरु की गति कहां तक है? गुरुदेव से क्या मांगना चाहिए? लाल रतन क्या है? सच्चे भक्त किस चीज की इच्छा रखते हैं? भक्तों को किस तरह संसार में रहना चाहिए? हरिजन किसे कहते हैं?  इन बातों की जानकारी  के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे किराम नाम महामंत्र, राम नाम जप से लाभ, राम नाम का चमत्कार, राम नाम की उत्पत्ति कैसे हुई, शास्त्रों में राम नाम की महिमा, राम नाम की सिद्धि, राम नाम कैसे जपे, राम नाम लिखने के फायदे, राम नाम फल, राम नाम के जप का प्रभाव, राम के कितने नाम, राम नाम रहस्य, हरी नाम की महिमा, श्री हरि विष्णु मंत्र, हरे कृष्ण महामंत्र का अर्थ, क्या हरे कृष्ण महामंत्र का जप माला पर बिना स्नान किये कर सकते हैं, राम कृष्ण हरि मंत्र लाभ, हरे कृष्ण महामंत्र के फायदे, हरी ओम मंत्र बेनिफिट्स, हरि नाम जप, हरे राम मंत्र जप, हरि ओम मंत्र का जाप, हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम, मंत्र के फायदे, हरि ॐ मंत्र, आदि बातें। इन बातों को जानने के पहले, आइए !  सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें-

इस भजन के पहले वाले भजन ''पंचे शबद बजे मति गुरमति ,....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं 


Ram Naam Ki Mahima per charcha karte Baba Nanak

गुप्त हरि नाम कैसे मिलता है? How do you find the name Hari Gupta?

सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि- "Who should merge your appearance?  What happens when you get the name Ram?  How do you find the name Hari Gupta?  In what form does the name Rama reside inside the body?  In which door is the name Rama found?  How many doors are there in the body?  What is the nectar in the beautiful city like body?  Who can get the red gem?  What is the speed of Satguru?  What should I ask Gurudev for?  What is red rattan?  What do true devotees desire?  How should devotees live in the world?  What is Harijan?" इसे अच्छी तरह समझने के लिए गुरु वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-  


 ॥ रागु कलिआन , महला ४ , असट पदिआ ॥

( शब्द २ 

१ ॐ सतिगुर प्रसादि


रामा रम रामो सुनि मनु भीजै ॥ 
हरि हरि नामु अंम्रितु रसु मीठा , गुरमति सहिजे पीजै ॥१॥रहाउ ॥
कासट महि जिउ है बैसंतरु , मथि संजमि काढ़ि कढ़ीजै । 
राम नामु है जोति सबाई , ततु गुरमति काढ़ि लईजै ॥१ ॥ 
नउ दरवाजे नवै दर फीके , रसु अंनितु दसवै चुईजै ॥ 
क्रिपा क्रिपा किरपा करि पिआरे , गुर शबदी हरि रसु पीजै ॥२ ॥ 
काइआ नगरु नगरु है नीको , बिचि सउदा हरि रसु कीजै ॥ 
रतन लाल अमोल अमोलक , सतिगुर सेवा लीजै ॥३ ॥ 
सतिगुर अगमु अगमु है ठाकुर , भरि सागर भगति करीजै ॥ 
क्रिपा क्रिपा करि दीन हम सारिंग, इक बूंद नामु मुख दीजै ॥४ ॥
लालनु लालु लालु है रंगन , मनु रंगन कउ गुर दीजै ॥ 
राम राम राम रंगि राते , रस रसिक गटक नित पीजै ॥५ ॥
बसुधा सपत दीप है सागर , कढ़ि कंचनु काढि धरीज ।। 
मेरे ठाकुर के जन इनहु न बांछहि , हरि माँगहि हरि रसु दीजै ॥६ ॥ 
साकत नर प्रानी सद भूखे , नित भूखन भूख करीजै ।। 
धावतु धाइ धावहि प्रीति माइआ , लख कोसनकठ बिखि दीजै ॥७ ॥ 
हरि हरि हरि हरि हरिजन ऊतम , किआ उपमा तिन्ह दीजै ॥
राम नामु तुलि अउरु न उपमा , जन नानक क्रिया करीजै ॥८ ॥ 


शब्दार्थ - रामा , रामो - रामनाम , अनाहत नाद । कासट - काष्ठ , काट । जिउ - जैसे । बैसंतरु - बसन्दर , वैश्वानर , आग । मथि - मथकर , रगड़कर । संजमि संयम से , साधन से , तरीके से । कढ़ीजै निकाल लीजिए । जोति - चेतनरूप । सबाई - सबमें , समाया हुआ । ततु = तत् , वह । फीके - रस - रहित , आनंद - रहित । सउदा सौदा , खरीद । भरि सागर - सागर भरकर , बहुत - सा । सारिंग - सारंग , चातक , पपीहा । रंगनु - रंग । लालु - लाल , प्रकाश । राते- रंगकर , लीन होकर । रसिक - प्रेमी भक्त । गटक गटगट करके , बड़े - बड़े चूंट भरकर । बसुधा - वसुधा , गर्भ में धन को धारण करनेवाली , पृथ्वी । सपत - सप्त , सात । दीप - द्वीप , वह स्थल जिसके चारो ओर जल हो । ( जम्बू , प्लक्ष , शाल्मली , कुश , क्रौंच , शाक और पुष्कर - ये सप्त द्वीप हैं । ) वांछहि - वांछा ( इच्छा ) करते हैं । साकत - निगुरा , जो गुरुमुख नहीं है , जिसे गुर ( युक्ति ) मालूम नहीं है । सद - सदा । धावतु - चलायमान , क्षणभंगुर सांसारिक पदार्थ । बिखि ( बिथि ) बिचि , बीच , अंतर , दूरी । तुलि - तुलना , समता , समान । 


Tikakar Swami Lal Das Ji Maharaj
भावार्थकार- बाबा लालदास

भावार्थ - रामनाम में रमो अर्थात् अनाहत नाद में अपनी सुरत को लीन करो । रामनाम को सुनकर मन भींगता है ( आनंदित होता है । ) । हरि - सहित हरिनाम अमृत रस है और बहुत मीठा है । गुरुमुख उसे सहज रूप से पीते हैं ॥१ ॥ ' रहाउ । जिस प्रकार काठ में छिपी आग काठ को रगड़कर प्रकट की जाती है , उसी प्रकार शरीर के अंदर गुप्त हरिनाम को साधन के द्वारा प्रत्यक्ष करते हैं । ज्योतिस्वरूप या चेतनरूप रामनाम सबमें समाया हुआ है , गुरुमुख उसे निकालकर ( प्रत्यक्ष करके ) ग्रहण कर ले ॥१ ॥ शरीर में नौ द्वार हैं । नवो द्वार फीके ( रस - रहित ) हैं अर्थात् शरीर के नवो द्वारों में सुरत के बिखरे रहने से आनंद नहीं मिलता । दसवें द्वार में अमृत रस ( ज्योति और शब्दरूप अमृत रस ) चुला लीजिए । हे प्रियतम गुरुदेव ! आप कृपा करके गुरुशब्दरूपी हरि - रस पिला दीजिए ॥२ ॥ शरीर एक नगर है - यह बहुत सुंदर नगर है । इसके बीच हरि - रस ( हरिनामरूप अमृत रस ) का सौदा ( खरीद ) कीजिए । हरिनामरूप लाल रत्न अनमोल है - मूल्यवान् है , उसे सद्गुरु की सेवा करके प्राप्त कीजिए ॥३ ॥ सद्गुरु की गति अगम्य ( मन बुद्धि से नहीं जाननेयोग्य ) है ; ठाकुर ( मालिक , परमात्मा ) की गति भी अगम्य है । सागर भरकर ( बहुत - सी ) उसकी भक्ति कीजिए । हे गुरुदेव ! कृपा करके मुझ दीन पपीहे के मुख में  नामरूपी स्वाति - जल की एक बूंद दे दीजिए।॥४ ॥ अंत : प्रकाशरूप लाल रल लाल रंग का है । हे गुरुदेव ! मन को रंगाने के लिए ( मन पर भक्ति का रंग चढ़ाने के लिए ) उस अंत : प्रकाश का मुझे साक्षात्कार कराइये अथवा परमात्मारूपी रँगरेज ( रंगानेवाला ) बड़ी महिमावाला है , उसके पास जो रंग ( प्रकाश ) है , वह लाल है । हे गुरुदेव ! मन को रँगाने के लिए वह रंग मुझे दीजिए ( प्राप्त कराइए ) । रामनाम के रंग ( आनंद ) में रँगकर ( लीन होकर ) प्रेमी भक्त नित्य गटगट करके - बड़े - बड़े घूट भरकर अमृत रस पीते हैं।।५ ।। पृथ्वी पर सात द्वीप और सात समुद्र हैं - इन सबके गर्भ से समस्त सोना ( समस्त बहुमूल्य धातुएँ और रत्न ) निकालकर सामने रख दिया जाए , तोभी मेरे मालिक ( परमात्मा ) के भक्त उनकी इच्छा नहीं करेंगे । वे तो हरि से केवल यही माँगते हैं कि मुझे बस हरि - रस ( हरिनाम ) दीजिए ॥६ ॥ निगुरे प्राणधारी मनुष्य सदा सांसारिक वैभव ( धन - दौलत ) के भूखे होते हैं । बहुत अधिक धन - दौलत हो जाने पर भी उन्हें उनकी नित्य भूख - ही - भूख ( तृष्णा - ही - तृष्णा ) बनी रहती है अर्थात् बहुत अधिक हो जाने पर भी वे ' और चाहिए , और चाहिए'- ऐसी इच्छा करते रहते हैं । वे क्षणभंगुर सांसारिक पदार्थों के पीछे दौड़ते रहते -माया के पीछे प्रीतिपूर्वक दौड़ते रहते हैं । ऐसे लोगों को अपने से लाखों कोस का अंतर देना चाहिए अर्थात् ऐसे लोगों से लाखों कोस दूर रहना चाहिए अथवा हरि - भक्तों और ऐसे माया - भक्तों के बीच लाखों कोस का अंतर समझना चाहिए।॥७ ॥ हरि उत्तम हैं और हरिजन भी उत्तम हैं । उन हरिजनों की क्या उपमा दी जाए अथवा उन हरिजनों की किनसे उपमा दी जाए ? ' राम ' के सिवा उनके लिए और कोई उपमा नहीं है अर्थात् वे राम ( परमात्मा ) के ही समान कहे जानेयोग्य हैं । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि हे गुरुदेव ! मुझ दास पर कृपा कीजिए ॥८ ॥ 


टिप्पणी- -१ . गुरु नानकदेवजी ने अनाहत नाद को हुक्म , हरिनाम और गुरुशब्द या गुरुनाम भी कहा है । 

२. राम ( परमात्मा ) में मिलकर भक्त भी राम ही हो जाते हैं । 

३. “ बिखि दीजै ' के स्थान पर " बिथि दीजै ' पाठ भी मिलता है । 

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इस भजन के बाद वाले भजन ''अंतरि गुरु आराधणा ....''   को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि apanee soorat ko kis mein leen karana chaahie? raam naam milane par kya hota hai ? gupt hari naam kaise milata hai? raam naam kis roop mein shareer ke andar mein rahata hai?  kis dvaar mein raam naam milata hai? shareer mein kitane dvaar hain? shareer roopee sundar nagar mein amrt ras kya hai? laal ratn ko kaun praapt kar sakata hai? sataguru kee gati kahaan tak hai? gurudev se kya maangana chaahie? laal ratan kya hai? sachche bhakt kis cheej kee ichchha rakhate hain? bhakton ko kis tarah sansaar mein rahana chaahie? harijan kise kahate hain?   इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है। 



नानक वाणी भावार्थ सहित

संतवाणी-सुधा सटीक, पुस्तक, स्वामी लाल दास जी महाराज टीकाकृत
संतवाणी-सुधा सटीक
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नानक वाणी 38, Gupt Hari Naam kaise milata hai ।। रामा रम रामो सुनि मनु भीजै ।। भजन भावार्थ सहित नानक वाणी 38, Gupt Hari Naam kaise milata hai ।। रामा रम रामो सुनि मनु भीजै ।। भजन भावार्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 2/07/2021 Rating: 5

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