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नानक वाणी 10, Anhad Nad Sumiran । अनहदो अनहदु बाजै । भजन भावार्थ सहित -सदगुरु महर्षि मेंहीं

गुरु नानक साहब की वाणी / 10

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति में  संत श्री गुरु नानक साहब जी महाराज   की वाणी  ''अनहदो अनहदु बाजै,...'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद  सद्गुरु महर्षि  मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है। उसी के बारे मेंं यहां जानकारी दी जाएगी।

इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद)  में बताया गया है कि- अनहद नाद का शुद्ध रूप है अनाहत नाद। ऊँ कार साधना नादयोग की उच्चस्तरीय साधना है। इन्हीं की श्रवण शब्द साधना, ब्रह्म की नाद साधना कहलाती है। शिव संहिता में विभिन्न प्रकार के अनहद 'नाद' बतलाये गये हैं। नाद श्रवण की साधना सच्चे सद्गुरु से प्राप्त करनी चाहिए।   इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- अनहद नाद मैडिटेशन टेक्निक्स, अनहद नाद का अर्थ, अनहद नाद की शक्तिशाली विधि, अनाहत नाद बाबा नानक, अनहद नाद सुनने के लाभ, अनहद का अर्थ, नाद ब्रह्म ध्यान, अनहद की परिभाषा, नाद योग के लाभ, अनहद नाद के प्रकार, अनहद नाद मीनिंग इन हिंदी, नाद श्रवण, नाद बिंदु क्या है, इत्यादि बातों को समझने के पहले, आइए ! भक्त सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें। 

इस भजन के पहले वाले भजन ''मोहु कुटंबु मोहु सभकार,...'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।

नाद सिमरन के महिमा एवं लाभ की जानकारी देते बाबा नानक
नाद श्रवन की महिमा बताते हुए बाबा नानक

Anhad Nad Sumiran । अनहदो अनहदु बाजै

सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि " राम के अनहद रुण - झुणकार की ध्वनियाँ बजती हैं । मेरा मन प्यारे राम - रूप लाल रत्न में लवलीन हो गया है । संसार की ओर से विरक्त मन ने दिन - रात राम की ओर लगा हुआ होकर शून्य मंडल में घर प्राप्त किया है ।....Anhad nad meditation techniques, meaning of anhad nad, powerful method of anhad nad, anahat nad baba nanak, benefits of listening to anhad nad, meaning of anhad, nad brahma meditation, definition of anhad, benefits of nad yoga, types of anhad nad, anhad nad  What is nad meaning in hindi, nad shravan, nad point.....  "   इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-


गुरु नानक साहब की वाणी

 ॥ मूल पद्य ॥

अनहदो अनहदु बाजै , रुण झुणकारे राम ।
मेरा मनो मेरा मनु राता , लाल पिआरे राम ।।
अनदिनु राता मनु वैरागी , सुन्न मंडलि घरु पाइआ ।
आदि पुरुष अपरंपरु पिआरा , सतिगुरि अलखु लखाइआ ।।  आसणि बैसणि थिरु नाराइणु , तितु मनु राता बीचारे ।
नानक नाम रते वैरागी , अनहद रुण झुणकारे ॥१ ॥
तितु अगम तितु अगम पुरे कहु , कितु विधि जाइऔ राम ।
सचु संजमो सारि गुन गुरु , सबद कमाइ राम ॥
सचु सबदु कमाइझै निजु घरि जाइजै पाइ गुणी निधाना ।  तितु साखा मूलु पतु नहीं डाली , सिरि सभना परधाना ।।
जपु तपु करि करि संयम थाकी, हठि निग्रहि नहीं पाइ । नानक सहजि मिले जगजीवन , सतिगुर बूझ बुझाइ ॥२ ॥

 शब्दार्थ - सारि = सार


 भावार्थ - 

नानक वाणी के टीकाकार सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
टीकाकार -महर्षि मेंहीं
राम के अनहद रुण - झुणकार की ध्वनियाँ बजती हैं । मेरा मन प्यारे राम - रूप लाल रत्न में लवलीन हो गया है । संसार की ओर से विरक्त मन ने दिन - रात राम की ओर लगा हुआ होकर शून्य मण्डल में घर प्राप्त किया है । इस प्यारे राम आदिपुरुष , सबसे परे और  अलख ( आँख के देखने की शक्ति से बाहर ) का सदगुरु ने दर्शन (*यह दर्शन केवल आत्मा से होता है ।) कराया । आसन पर थिर से बैठकर वहाँ परमात्म - नारायण के विचार में मन को रत करे - अत्यंत लौलीन करे । गुरु नानक कहते हैं कि हे वैरागी ! रुण - झुनकार के अनहद नाद - रूप नाम में रत हो जाओ ॥१ ॥ हे लोगो ! कहो , उस अगमपुर में किस विधि से जाना चाहिए ? ( उत्तर ) सत्य , संयम के सार गुण को धारण करके गुरु - शब्द की कमाई करनी चाहिए । सत्यशब्द की कमाई करके आत्म - घर में जाकर गुणों के भण्डार - रूप परमात्मा को प्राप्त करना चाहिए । उस परमात्म - रूप वृक्ष को मूल नहीं है , शाखा नहीं है , पत्र नहीं है , छोटी - छोटी डालियाँ भी नहीं हैं । वह सबके शीश में प्रधान पुरुष है । जप , तप और संयम करके लोग थक जाते हैं , हठयोग - द्वारा मनोनिरोध से परम प्रभु परमात्मा नहीं पाए जाते हैं । गुरु नानक साहब कहते हैं कि इस संसार के जीवन - रूप वह प्रभु सहज ही मिलते हैं , यह बृझ सद्गुरु बुझा देते हैं।॥२ ॥ इति ॥

इस भजन के बाद वाले भजन  ''अलख अपार अगम अगोचरि,....''   को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  अनहद नाद का शुद्ध रूप है अनाहत नाद। ऊँ कार साधना नादयोग की उच्चस्तरीय साधना है। इन्हीं की श्रवण शब्द साधना, ब्रह्म की नाद साधना कहलाती है। anahad naad maiditeshan tekniks, anahad naad ka arth, anahad naad kee shaktishaalee vidhi, anaahat naad baaba naanak, anahad naad sunane ke laabh, anahad ka arth, naad brahm dhyaan, anahad kee paribhaasha, naad yog ke laabh, anahad naad ke prakaar, anahad naad meening in hindee, naad shravan, naad bindu kya hai.  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने।  इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।



नानक वाणी भावार्थ सहित
संतवाणी-सटीक
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