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नानक वाणी 16, Eda-Pingala Solder Glory । सागर महि बूंद बूंद महि सागरु । भजन भावार्थ सहित -महर्षि मेंहीं

गुरु नानक साहब की वाणी / 16

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति में  संत श्री गुरु नानक साहब जी महाराज   की वाणी  ''सागर महि बूंद बूंद महि सागरु,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद  सद्गुरु महर्षि  मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है। यहां उसी के बारे मेंं जानकारी दी जाएगी।

इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद)  में बताया गया है कि-मनुष्य के शरीर में ही सारा ब्रह्मांड का नमूना है, गुण है। जैसे- एक बूंद सागर के पानी में सागर के सभी गुण मौजूद होते हैं। इस रहस्य को बिरला गुरुमुख जानता है, जो गुरु की भक्ति करता है, सेवा करता है। इन बातों की जानकारी  के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- इड़ा-पिंगला मिलाप महिमा,पिंगला का अर्थ, सुषुम्ना के दो कार्य, सुषुम्ना का अर्थ, सुषुम्ना स्वर,सुषुम्ना नाड़ी एक्टिवेशन, सुषुम्ना नाड़ी को कैसे जागृत करें, इड़ा का अर्थ, सुषुम्ना चलने का प्रभाव, सुषुम्ना जागरण, इंगला पिंगला भजन, पिंगला स्वर का कार्य, सुषुम्ना नाड़ी कैसे जागृत करें, आदि। इन बातों को जानने के पहले, आइए !  सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें।  

इस भजन के पहले वाले भजन ''दुविधा बउरी मनु बउराइआ,,...'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।

इड़ा, पिंगला नाड़ी को मिलाप करने पर क्या होता है? इसकी महिमा क्या है? क्या विशेषता है? इस पर चर्चा करते हुए सतगुरु बाबा नानक साहिब जी महाराज।
Eda-Pingala Solder Glory

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सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि " समुद्र में बूंद है और बूंद में समुद्र है अर्थात् पिण्ड में ब्रह्माण्ड और ब्रह्माण्ड में पिण्ड है । इसको कौन बृझे और इसकी जानने की विधि को कौन जाने ? इस आश्चर्यमय चरित्र को जानने की युक्ति को जानकर अपने से उसका अभ्यास करके इसको जो पहचानते हैं , ....  "  इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-

सद्गुगुरु बाबा नानक साहब की वाणी

 ॥ मूल पद्य ॥

सागर महि बूंद बूंद महि सागरु , कबणु बुझै विधि जाण । उतभुज चलत आपि करि चीन , आपे ततु पछाण॥१॥रहाउ ।। जैसा गिआन विचारै कोई , तिसते मुकति परमगति होई ।। दिन महि रैणि रैणि महि दीनी , अरु उसन सीति विधि सोई । ताकी गति मति अवरु न जाणे , गुर बिनु समझ न होई।।२ ।। पुरख महि नारि नारि महि पुरखा , बृझहु ब्रह्म गिआनी । धुनि महि धिआनु धिआन महि जानिआ , गुरमुखि अकथ कहानी ॥३ ॥ मन महि जोति महि मनुआँ , पंच मिले गुर भाई । नानक तिनके सद बलिहारी , जिन एक सबदिं लिवलाई ।४ ।।

 शब्दार्थविधि-  युक्ति । उतभुज - अदभुत । चलत - चरित्र । ततु - सार वस्तु । “ दिन महि रैणि रैणि महि दीनी अझ उमन मीति विधि सोई ' दृष्टि योग करे । दिन - उसन - उष्म -सूर्य - गंगा - पिंगला । रैणि - सीत - रात चन्द्र - यमुना - इड़ा । गति चाल । पुरख महि नारि नारि महि पुरखा - पुरुष में प्रकृति और प्रकृति में पुरुष । पंच गुर भाई पंच नाद । सद - सदा । एक - केवल , सिर्फ ।

भावार्थ -

सतगुरु बाबा नानक साहब की वाणी के टीकाकार सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज।
टीका-सद्गुरु महर्षि मेंहीं

समुद्र में बूंद है और बूंद में समुद्र है अर्थात् पिण्ड में ब्रह्माण्ड और ब्रह्माण्ड में पिण्ड है । इसको कौन बृझे और इसकी जानने की विधि को कौन जाने ? इस आश्चर्यमय चरित्र को जानने की युक्ति को जानकर अपने से उसका अभ्यास करके इसको जो पहचानते हैं,  वे आत्म - तत्त्व को पहचानते हैं।॥१ ॥ ऐसे ज्ञान को जो विचारते हैं , उनको मुक्ति और परम गति होती है , दृष्टियोग - द्वारा इड़ा - पिंगला का जो मिलाप करता है , उसकी चाल और बुद्धि को दूसरे नहीं जानते हैं । इसकी समझ गुरु के बिना नहीं होती ॥२ ॥ परम पुरुष परमात्मा में प्रकृति का पसार है और प्रकृति में वह व्यापक है । हे ब्रह्मज्ञानी ! यह बुझो । ध्वनि में ध्यान हो , तो इस ध्यान गुरु मुख से कहा गया यह अकथनीय विषय जाना जाता है।॥३ ॥ मन में ज्योति है , ज्योति में मन रहे , तो पाँच गुरु भाई - पाँच सहायक - पंच शब्द मिल जाते हैं । गुरु नानक कहते हैं कि जो केवल शब्द में लौ लगाते हैं , उनकी सैकड़ों बलिहारी है ॥४ ॥ इति।।


इस भजन के बाद वाले भजन  ''घर महि घरु देखाइ देइ,....''   को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।


बिशेष-

साधना में इड़ा-पिंगला एवं सुषुम्ना नाड़ियों का भी उल्लेख किया है। संत कबीर साहब की वाणी में इसे "चंद सुर" भी कहा गया है। देखें- "तेरा हरि नौमै जुलाहा , मेरे रॉम रमण को लाहा । टेक ।। दस सै सूत्र की पुरिया पूरी , चंद सूर दोइ साखी । अनत नाँव गिनि लई मजूरी , हिरदा कवल मैं राखी । सुरति सुमृति दोइ खूटी कीन्ही आरंभ कीया बमेकी । ग्यान तत की नली भराई , बुनित आतमा पेषी ।। अबिनासी धन लई मंजूरी , मंजूरी , पूरी थापनि पाई । रस बन सोधि - सोधि सब आये , निकट दिया बताई । मन सूधा को कूच कियौ है , म्यान बिथरनीं पाई । जीव की गाँठि गुढी सब भागी , जहाँ की तहाँ ल्यौ लाई ।। बेठि बेगारि बुराई थाकी , अनभै पद पर कासा । दास कबीर बुनत सच पाया , दुख संसा सब नासा।।२८८ ।।" कबीर ग्रंथावली सटीक (चंद सूर = इड़ा ,  पिंगला नाड़ी )

*  स्वरोदय शास्त्र के अनुसार लोग इड़ा (चन्द्र), और पिंगला ( सूर्य) नाड़ी से प्राणवायु का अभ्यास करते हैं।

* पिंगला नामक नाड़ी का उल्लेख हिन्दू पुराणों में मिलता है। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार यह सोलह नाड़ियों में से एक है।

प्रमुख सोलह नाड़ियों के नाम निम्नलिखित हैं- इडा, सुषुम्णा, मेधा (नाड़ी), पिंगला (नाड़ी), प्राणहारिणी, सर्वज्ञानप्रदा, मनःसंयमनी, विशुद्धा, निरुद्धा, वायुसंचारिणी, शुष्ककरी, बलपुष्टिकरी, बुद्धिसंचारिणी, ज्ञानजृम्भनकारिणी, सर्वप्राणहरा तथा पुनर्जीवनकारिणी।( ब्रह्म वैवर्त पुराण पृ. 45)


* सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना को गंगा, जमुना और सरस्वती भी कहा है। देखें पदावली भजन नंबर   ६५,    ६६

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  मनुष्य के शरीर में ही सारा ब्रह्मांड का नमूना है, गुण है। जैसे- एक बूंद सागर के पानी में सागर के सभी गुण मौजूद होते हैं। इस रहस्य को बिरला गुरुमुख जानता है, जो गुरु की भक्ति करता है, सेवा करता है।  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने।  इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।



नानक वाणी भावार्थ सहित
संतवाणी-सटीक (पुस्तक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कृत)
संतवाणी-सटीक
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