'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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नानक वाणी 21, Surat-shabd-yog kee baaten। शब्द सुरति की साखी बूझै । भजन भावार्थ सहित -बाबा लालदास
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा श्री गुरु नानक साहब जी महाराज की वाणी ''शब्द सुरति की साखी बूझै,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद छोटेलाल दास जी महाराज ने लिखा है।
इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि-दशम द्वार में भट्ठी चूती है अर्थात् दशम द्वाररूप भट्ठी से ज्योति और शब्दरूप अमृत की बूंदें टपकती हैं । इस अमृत का पान सुरत-शब्द-योग या ओंकार (ॐ) उपासना या साधना द्वारा किया जाता है । इन बातों की जानकारी के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- गुरु नानक देव जी के भजन भावार्थ सहित, सुरत-शब्द-योग की बातें, सुरत शब्द योग मेडिटेशन तकनीक, सुरत शब्द योग पीडीऍफ़, सुरत शब्द साधना, सुरत शब्द का अर्थ,सुरति शब्द योग
सुरत का अर्थ, सूरत शब्द, शब्द सुरती योग, शब्द युग्म, Surat Shabad Yog, सूरत का अर्थ, सुरति शब्द साधना, आदि। इन बातों को जानने के पहले, आइए ! सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें-
इस भजन के पहले वाले भजन ''ओअंकार निरमल सत वाणि,...'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
सुरत शब्द योग की महिमा का वर्णन करते बाबा नानक
Surat-shabd-yog kee baaten
सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि " जो सुरत - शब्द - योग की बात ( भेद ) जानता है और अभ्यास करता है , उसे अंदर के प्रधान दस नादों और पाँच मंडलों के पाँच केंद्रीय नादों का रहस्य मालूम हो जाता है ।.... " इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-
सद्गुगुरु बाबा नानक साहब की वाणी
॥ महला १॥ ( शब्द २ )
शब्द सुरति की साखी बूझै , मरमु दशाँ पंचाँ का सूझै ॥ दशवै द्वारे चोवै भाठी , तीरथ परसै त्रै सै साठी ॥ गगनंतरि गगन गवनि करि फिरै , जाय त्रिवेणी मजनु करै ॥ सहस निरंतरि धरै ध्यानु , नानक ऐसा ब्रह्मज्ञानु ॥१३४ ॥
शब्द सुरति - सुरत - शब्द - योग , नादानुसंधान । साखी - पद्य , बाता बुड़ी जानता है । मरमु मर्म , रहस्य । दाँ - दस , दस प्रकार की अनहद ध्वनियाँ । पंचर्चा - पांच मंडलों ( स्थूल , सूक्ष्म , कारण , महाकारण और कैवल्य ) के पाँच केन्द्रीय नादा सड़ी दिखाई पड़ता है , मालूम पड़ता है । चोवै चूता है , टपकता है । भाठी - भट्ठी । तीरथ तीर्थ , त्रिवेणी , आज्ञाचक्रकेन्द्रविन्दु , दशम द्वारा परस - स्पर्श करता है , स्नान करता है , भ्रमण करता है । सै साठी तीन सौ साठ दिन , सालो भर , निरंतर , सदा । गगनंतरि गगन स्थूल आकाश के भीतर स्थित सूक्ष्म आकाशा गवनि - गमन । फिर - विचरण करता है । त्रिवेणी इड़ा ( गंगा ) , पिंगला ( यमुना ) और सुषुम्ना ( सरस्वती ) - इन तीनों नाड़ियों का मिलन - स्थान , दशम द्वारा ( संतों ने इड़ा को यमुना और पिंगला को गंगा कहा है । ) मजनु - मज्जन , स्नान । सहस - सहस्रदल कमला ब्रहा ज्ञानु - ब्रहा - साक्षात्कार ।
भावार्थ - जो सुरत - शब्द - योग की बात ( भेद ) जानता है और अभ्यास करता है , उसे अंदर के प्रधान दस नादों और पाँच मंडलों के पाँच केंद्रीय नादों का रहस्य मालूम हो जाता है । दशम द्वार में भट्ठी चूती है अर्थात् दशम द्वाररूप भट्ठी से ज्योति और शब्दरूप अमृत की बूंदें टपकती हैं । जो उस द्वार में प्रवेश करता है , वह तीन सौ साठो दिन तीर्थों में स्नान करता है या तीर्थों का भ्रमण करता है । स्थूल आकाश के अंदर स्थित सूक्ष्म आकाश में गमन करके वह विचरण करता है और त्रिवेणी ( दशम द्वार ) में जाकर स्नान करता है । वह सहस्रदल कमल में निरंतर स्वाभाविक रूप से ध्यान लगाता है । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि ऐसा ब्रह्म - ज्ञान ( ब्रह्म - साक्षात्कार ) होने पर होता है ।
टिप्पणी-
१ . नादविन्दूपनिषद् में समुद्र , बादल , भेरी , जलप्रपात , मदल , घंटे , सिंघे , किंकिणी , मुरली , वीणा , भौरे की भनभनाहट जैसी ध्वनियों का अंदर में सुनाई पड़ना लिखा गया है । संतवाणी में इनके अतिरिक्त झींगुर की झंकार , सिंह - गर्जन , शंख और सितार आदि की भी ध्वनियों का सुनाई पड़ना वर्णित है ।
२. दशम द्वार में इड़ा ( गंगा ) , पिंगला ( यमुना ) और सुषुम्ना ( सरस्वती ) -इन तीन नाड़ियों का मिलाप होता है । इसीलिए दशम द्वार को तीर्थराज और त्रिवेणी कहते हैं । योगशिखोपनिषद् में कहा गया है कि सुषुम्ना ( दशम द्वार ) प्रधान तीर्थ है । जो इसमें सदा अवस्थित रहता है , वह सब पापों से मुक्त हो जाता है ।
३. इस पद्य में जिस भट्ठी के चूने की बात कही गई है , वह एकविन्दुता की प्राप्ति होने पर दशम द्वार में रोपी जाती है - ' सुखमन के घर भाटी चूवै , पिये बंक के नाला । ' ( संत पलटू साहब ) ' जाद - जरूरत सुखमन जोई । चाँद सूर बिच भाठी होई ॥ ' ( संत यारी साहब ) इति।।
इस भजन के बाद वाले भजन ''कर्ता भुगता करने जोग,....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि दशम द्वार में भट्ठी चूती है अर्थात् दशम द्वाररूप भट्ठी से ज्योति और शब्दरूप अमृत की बूंदें टपकती हैं । इस अमृत का पान सुरत-शब्द-योग या ओंकार (ॐ) उपासना या साधना द्वारा किया जाता है ।इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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नानक वाणी 21, Surat-shabd-yog kee baaten। शब्द सुरति की साखी बूझै । भजन भावार्थ सहित -बाबा लालदास
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/06/2020
Rating: 5
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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