सद्गुरु बाबा नानक साहब की वाणी / 51
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मँहीँ परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सद्गुरु महर्षि मँहीँ परमहंस जी महाराज एवं अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संत-वचनावली सटीक से संत सद्गरु बाबा श्री गुरु नानक साहब जी महाराज की वाणी "कोटि कोटी मेरी आरजा पवणु पीअणु अपिआउ" का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है।
इस भजन के पहले वाले भजन '' "तू दरीआउ दाना बीना मै मछुली कैसे अन्तु लहा,....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए 👉 यहाँ दवाएँ.
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बाबा नानक |
नाम की महिमा क्या है?
प्रभु प्रेमियों ! सतगुरु बाबा नानक साहिब जी महाराज अपने निम्नलिखित वाणी के द्वारा भगवान के नाम की महिमा का बखान करते हैं और कहते हैं कि यदि मैं जिंदगी भर बिना खाए पिए और बिना रुके, ईश्वर के गुण का उनके नाम की महिमा का वर्णन करता रहूं, तब भी उनकी महिमा का पार नहीं पा पाऊंगा . आइए उन्ही के वाणी में भगवान के नाम की महिमा का वर्णन सुनें और पढे ं-
गुरु नानकदेवजी महाराज की वाणी
( 51 )
कोटि कोटी मेरी आरजा पवणु पीअणु अपिआउ । चंदु सूरजु दुइ गुफै न देखा सुपने सउण न थाउ । भी तेरी कीमति ना पबै हउ केवडु आखा नाउ ॥ १ ॥ साचा निरंकारु निज थाइ सुणि सुणि आखण आखणा जे भावै करै तमाड़ ॥१ ॥ रहाउ ॥
कुसा कुटीआ वार - वार पीसणि पीसा पाउ । अगी सेती जालीआ भसम सेती रलि जाउ । भी तेरी कीमति ना पवै हउ केवडु आखा नाउ ॥२ ॥ पंखी होइ कै जो भवा सै असमानी जाउ । नदरी किसै न आवक ना किछु पीआ न खाउ । भी तेरी कीमति ना पवै हउ केवडु आखा नाउ ॥३ ॥ नानक कागद लख मणा पड़ि पड़ि कीचै भाउ । मसू तोटि न आवई लेखणि पउणु चलाउ । भी तेरी कीमति ना पवै हउ केवडु आखा नाउ ॥४ ॥
शब्दार्थ- आरजा = आयु । भी = तोभी । कीमति = कीमत , महिमा , बढ़ाई । हउ = मैं। केवल = केवल। आखा = कहने से । नाउ = नाम । निरंका।रु = निराकार , रूप - रहित । कहते हैं , वर्णन करते हैं । पिट जाऊँ । कुटीआ = बड़ाई । थाइ = स्थान , स्वरूप । आखण = कहते हैं, वर्णन करते हैं । आखणा = कथा , कहानी । तमाइ = तमा , इच्छा । कुसा = पिट जाऊँ । कुटीया = कुट जाउं । अगी सेती = आग से । रलि जाउ = मिल जाउँ। नदरी = नजर । लख मणा = लाखों मन । कीचै = कीजै , करे । भाउ = भाव , अर्थ , विचार । मसू = मसी , स्याही । तोटि = त्रुटि , कमी । पड़ि पड़ि = पढ़ - पढ़कर ।
भावार्थ-- गुरु नानक देवजी कहते हैं कि करोड़ों - करोड़ों वर्ष की मेरी आयु हो , वायु ही मेरा खाना - पीना हो , दिन - रात गुफा में बैठा रहूँ कि सूर्य - चन्द्र भी मुझे कभी नहीं देख सकें , कभी शयन नहीं करूँ और सोने के लिए स्थान भी नहीं मिले , तोभी हे परमात्मा ! तेरी और तेरे नाम की महिमा का केवल वर्णन करके मैं अंत नहीं पा सकूँगा ॥ १ ॥
सच्चा परमात्मा अपने स्वरूप से निराकार है । जिसे अच्छा लगता है और जो इच्छा करता है , वह सुन - सुनकर परमात्मा की गुण - गाथाएँ कहता है ॥ १ ॥ रहाउ ।।
मैं पिट जाऊँ , कुट जाऊँ , बार - बार चक्की में पिस जाऊँ , आग में जल जाऊँ और जलकर भस्म हो जाऊँ अर्थात् मैं अनेक प्रकार के हठकर्म और कठिन तपश्चर्या करूँ , तोभी हे परमात्मा ! तेरी और तेरे नाम की महिमा का केवल वर्णन करके मैं अंत नहीं पा सकूँगा ॥ २ ॥
पक्षी होकर अथवा पक्षी के समान उड़कर आकाश जा लगूँ ; अदृश्य हो जाकर किसी के भी देखने में न आऊँ और न तो कुछ खाऊँ , न पिऊँ , तोभी हे परमात्मा ! तेरी और तेरे नाम की महिमा का केवल वर्णन करके मैं अंत नहीं पा सकूँगा ॥३ ॥
गुरु नानक देवजी कहते हैं कि लाखों मन कागज के धर्मग्रंथों को पढ़ - पढ़कर उनके अर्थों पर विचार करूँ , स्याही की कभी कमी नहीं होने दें और वायु की गति से लेखनी चलाऊँ , तोभी हे परमात्मा ! तेरी और तेरे नाम की महिमा का केवल वर्णन करके मैं अंत नहीं पा सकूँगा ॥४ ॥ ∆
इस भजन के बाद वाले भजन ''कोटि कोटी मेरी आरजा पवणु पीअणु अपिआउ...'' को अर्थ सहित पढ़ने के लिए 👉 यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संत-वचनावली सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि परमात्मा की महिमा, राम नाम की महिमा क्या है?राम का नाम कैसे जपे? राम के नाम में है? राम नाम का फल क्या है? कलयुग में राम नाम की महिमा, शिव नाम की महिमा, राम नाम की महिमा, कृष्ण कृष्ण राम नाम की महिमा, राम नाम की सिद्धि, राम नाम की महिमा चौपाई, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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