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P101, Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित

 महर्षि मेंहीं पदावली / 101

   प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 101 वें पद्य  "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला.....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इसमें जानेंगे गुरु महाराज का समदन, khojat khojat satguru भेटि गेला, भजन अर्थ सहित में गुरु महाराज ने बताया है कि 'जब हम बहुत दुखी थे, ईश्वर प्राप्ति के लिए। तो भटकते-भटकते सतगुरु बाबा देवी साहब का दर्शन हुआ और हमारा कल्याण हुआ'

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P101, Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित।सद्गुरु की खोज में सद्गुरु महर्षि मेंहीं और उनके सेवक
सद्गुरु की खोज में सद्गुरु महर्षि मेंहीं और उनके सेवक

Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,...'' ...

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- मैं सच्चे सद्गुरु की खोज में बहुत संप्रदायों में घुमा-फिरा एवं वहां के संत-महंतों की सेवा की, किंतु कहीं भी मुझे संतोषजनक, शास्त्र सम्मत सद्गुरु का दर्शन नहीं हुआ। अंत में खोजते खोजते शहर मुरादाबाद में मुझे सतगुरु बाबा देवी साहब मिल गए। सत्संग योग पुस्तक के चौथे भाग में लिखने की कृपा की है- 'पूरे एवं सच्चे गुरु का मिलना परम प्रभु परमेश्वर के मिलने के तुल्य है।' अतः सच्चे गुरु की खोज पूरी जानकारी के साथ करके ही गुरु धारण करना परम उचित है। Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,.. इस भजन में गुरु महाराज अपने गुरु की खोज करते हुए अंततः उनको पा लिए। इस भाव को व्यक्त करते हुए, उनका यह भजन पढ़ें-

P101, Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 101 और शब्दार्थ, भावार्थ व टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 101 और शब्दार्थ, भावार्थ व टिप्पणी।

P101, Search the Satguru, "खोजत खोजत सतगुरु भेटि गेला,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 101 का शेष टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 101 का शेष टिप्पणी।

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प्रभु प्रेमियों !  "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक  से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि सच्चे गुरु की खोज पूरी जानकारी के साथ करके ही गुरु धारण करना परम उचित है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।



महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
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