संत कबीर साहब की वाणी / 06
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" से संत श्री कबीर साहब जी की वाणी "गुरुदेव बिन जीवन की कल्पना ना मिटै...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ पढेंगे। जिसे सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है।
संत सद्गुरु कबीर साहब जी महाराज की इस गुरु भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन,भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) "गुरुदेव बिन जीवन की कल्पना ना मिटै,..." में बताया गया है कि- मनुष्य के जीवन में गुरु की अत्यंत आवश्यकता है। शिष्य के लिए गुरु की महत्ता, गुरु का अर्थ, जीवन में गुरु का महत्व कविता, गुरु महिमा, गुरु महिमा कहानी, गुरु, गुरु पूर्णिमा। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-न-कुछ चर्चा मिलेगा। जैसे कि- संतवाणी अर्थ सहित,संतमत भजन,कबीर वाणी अर्थ सहित, सदगुरु, sant kabir vani in hindi, kabir amritwani, kabir das ke bhajan, कबीर के भजन शब्दार्थ भावार्थ सहित, सद्गुरु की सद्युक्ति, कबीर वाणी,सद्गुरु कृपा का फल, गुरु की महिमा पर निबंध, गुरु-भक्ति पर निबंध, आदि बातें।
सदगुरु कबीर साहब के इस भजन के पहले वाले भजन को अर्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
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संत कबीर साहब जी महाराज कहते हैं कि लोग गुरु की महिमा को नहीं जानते हैं। और वह अपनी मनमानी करते हैं। जबकि जो शिष्य गुरु आज्ञानुसार चलता है, वह जल्दी ही संसार चक्र से छुटकारा पा लेता है। उसे ( Fruit of sadguru grace ) सद्गचरु कृपा का फल मिल जाता है। इसे अच्छी तरह समझने के लिए संत कबीर साहब के निम्नलिखित भजन का शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
॥ मूल पद्य ॥
गुरुदेव बिन जीव की कल्पना ना मिटै ,
गुरुदेव बिन जीव का भला नाही ।
गुरुदेव बिन जीव का तिमर नासे नहीं ,
समुझि विचारि ले मने माहीं ॥
राह बारीक गरुदेव तें पाइये ,
जन्म अनेक की अटक खोलै ।
कहै कबीर गुरुदेव पूरन मिले ,
जीव और सीव तब एक तोलैः ।।
शब्दार्थ - कल्पना - दुःख । तिमर ( तिमिर ) -अंधकार । सीव ( शिव ) -कल्याणकारी , परमात्मा , ब्रह्म । एक तोलै - एक वजन का होना , मर्यादा में एक होना ।
पद्यार्थ - गुरुदेव के बिना जीव का दुःख नहीं मिटता है ; गुरुदेव के बिना जीव का भला नहीं होता है और गुरुदेव के बिना अंधकार का नाश नहीं होता है , ( इस विषय को ) मन में समझकर विचार लो ॥ गुरुदेव से सूक्ष्म मार्ग पाइये , ( तो वे पिण्ड में के ) अनेक जन्मों के अटकाव को खोलते हैं । कबीर साहब कहते हैं कि यदि पूरे गुरुदेव मिलें , तो जीव और ब्रह्म की मर्यादा एक हो जाय अर्थात् जीव ब्रह्म - स्वरूप हो जाय । इति।
संत कबीर साहब के इस भजन के बाद वाले भजन को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दवाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संत कबीर साहब मनुष्य के प्रत्येक काम में गुरु की आवश्यकता को महसूस करते हैं। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
संतवाणी-सटीक |
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कबीर वाणी 06 । Fruit of sadguru grace । गुरुदेव बिन जीवन की कल्पना ना मिटै । भजन भावार्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/27/2020
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