महर्षि मेंहीं पदावली /36
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 36 वें पद्य "प्रभु वरणन में आवैं नाहीं...'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस सद्गुरु भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद, भजन) "प्रभु वरणन में आवैं नाहीं.,..." में बताया गया है कि-- ईश्वर कौन है? Ishwar kaun hai? How is Ishwar and god? How is the ishwar name? ईश्वर कौन है, कहां है, कैसा है?सच्चा ईश्वर कौन है? सबसे बड़ा ईश्वर कौन है? क्या ईश्वर सत्य है? ईश्वर एक है? ईश्वर क्या है? आदि बातें।
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सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- कि ईश्वर कैसे होते हैं ? इसका सही-सही वर्णन नहीं किया जा सकता ? फिर भी संतों ने जो कहा है, उस आधार पर कुछ वर्णन किया जा रहा है।... इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें--
पदावली पद 36 शब्दार्थ |
पदावली पद 36 भावार्थ टिप्पणी |
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने ईश्वर कौन है, कहां है, कैसा है? सच्चा ईश्वर कौन है? सबसे बड़ा ईश्वर कौन है? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P36, Bhagwan kya hai? 'प्रभु वरणन में आवैं नाहीं,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/23/2019
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