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कबीर वाणी 08 । Who are true heroes । सूर संग्राम को देखि भागे नहीं । शब्दार्थ, भावार्थ सहित

संत कबीर साहब के वाणी / 08

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज प्रमाणित करते हुए "संतवाणी सटीक"  भारती (हिंदी) पुस्तक में लिखते हैं कि सभी संतों का मत एक है। इसके प्रमाण स्हवरूप बहुत से संतों की वाणीओं का संग्रह कर उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी लिखी गई हैं। इनके अतिरिक्त  "सत्संग योग" और अन्य जगह भी संतवाणीयों का संग्रह है। जिसका टीकाकरण पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने किया है। यहां इनकी पुस्तक "संतवाणी-सुधा सटीक" पुस्तक से  संत श्री कबीर साहब जी महाराज की वाणी "सूर संग्राम को देखि भागे नहीं...'  साखी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। 

इस भजन में आप आएंगे के संत कबीर साहब कहते हैं कि "जो भक्ति करने वाले वीर हैं, वह किसी भी लड़ाई से डरते नहीं है। चाहे वह ध्यान अभ्यास में काम, क्रोध आदि विकारों से लड़ना हो, चाहे संयम करना हो, कहीं भी पीछे नहीं रहते । इसके साथ ही आप निम्न बातों पर भी कुछ ना कुछ पायेंगे। जैसे कि- संतवाणी अर्थ सहित,संतमत भजन, कबीर वाणी अर्थ सहित, bhakti geet, कबीर भजन, कबीर भजन निर्गुण, निर्गुण भजन हिंदी, kabir ke dohe, kabir vani, kabir saheb ke bhajan, kabir amritwani, कबीर साहब के अमृतवाणी, songs of kabir, bhakti bhajan hindi, दोहा शब्दार्थ, भावार्थ सहित, What make a true hero? What is a true hero essay? what is a hero, आदि बातें।

सदगुरु कबीर साहब के इस भजन के पहले वाले भजन को अर्थ सहित पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।


संत कबीर साहब और टीकाकार, भजन पर विचार विमर्श करते।
वीरता का उपदेश देते हुए संत कबीर साहब और टीकाकार

Who are true heroes, "सूर संग्राम को देखि भागे नहीं,..."

संत कबीर साहब जी महाराज कहते हैं कि जो भक्ति करने वाले वीर हैं, वह किसी भी लड़ाई से डरते नहीं है। चाहे वह ध्यान अभ्यास में काम, क्रोध आदि विकारों से लड़ना हो, चाहे संयम करना हो, कहीं भी पीछे नहीं रहता है। वही सच्चा भक्त है, सपूत है, वीर है।.Who are true heroes, "सूर संग्राम को देखि भागे नहीं,...." इसे अच्छी तरह समझने के लिए और  वीडियो में पाठ किया गया शब्दार्थ, भावार्थ  को पढ़ें-

कबीर साहब की वाणी

सूर संग्राम को देखि भागै नहीं,
               देखि भागै सोई सूर नाहीं ।
 काम औ क्रोध मद लोभ से जूझना ,
                मँड़ा घमसान तहँ खेत माहीं ॥१ ॥
 सील औ साँच संतोष साही भये,
                नाम समसेर तहँ खूब बाजै ।
 कहत कबीर कोइ जूझिहैं सूरमा,
                कायराँ  भीड़  तहँ तुरत भाजै ॥२ ॥

 शब्दार्थ - सूर = शूर , वीर , बहादुर , कोई काम करने में जो कुशल हो , साहसी साधक । संग्राम = युद्ध , मन के साथ होनेवाला युद्ध । मँड़ना = माँड़ना , रौंदना , कुचलना , मसलना , आरंभ करना , ठानना , मचाना । मद = अहंकार । जूझना युद्ध करना , मुकाबला करना , लड़ना । मचा = हुआ , फैला । ( मचना = फैलना , होना । ) घमसान = घमासान , भीषण , भयंकर , घोर युद्ध , भयानक लड़ाई । खेत क्षेत्र , मैदान , युद्ध का मैदान । सील = शील , शीलता , सत्य तथा नम्र व्यवहार । कायराँ = = कायर , डरपोक , जो साहसवाला कोई काम करने से भागता हो । साँच सच्चाई , सत्यता , सत्य धर्म । संतोष = थोड़ी - सी वस्तुओं से गुजारा करना । साही साथी , सहायक । समसेर = शमशेर ( फा ० ) , तलवार । बाजे = बजता है , चलता है ( तलवार , लाठी आदि ) । भीड़ = संकट , विपत्ति , मुसीबत । तहँ = तें , से , तहाँ , वहाँ । तुर्त = तुरत , तुरन्त । भाजै = भाजता है , भागता है ।

 भावार्थ - जो साधक साहसी होता है , वह मन के साथ होनेवाले युद्ध से पीठ दिखाकर भागता नहीं । जो भाग जाता है , वह साहसी नहीं है । मन पर विजय प्राप्त करने के लिए उसके सैनिकों - काम , क्रोध , अहंकार तथा लोभ आदि विकारों से शरीररूपी युद्धक्षेत्र में विकट युद्ध करना पड़ता है ॥१ ॥ इस युद्ध में शीलता , सच्चाई ( सत्य धर्म ) और संतोष साधक के सहायक बनते हैं । ऐसे कठिन युद्ध में साधक परमात्मा के नाम - सुमिरन की तलवार सावधान होकर शत्रु - पक्ष पर चलाता है । संत कबीर साहब कहते हैं कि कोई साहसी साधक ही मन के साथ युद्ध करता है । कायर साधक तो इस युद्ध में कठिनाई को देखकर युद्ध - क्षेत्र से भाग खड़ा होता है ॥२ ॥ इति।
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संत कबीर साहब के इस भजन के बाद वाले भजन को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए  यहां दवाएं


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी-सुधा सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि भक्ति करने वाले वीर हैं, वह किसी भी लड़ाई से डरते नहीं है। चाहे वह ध्यान अभ्यास में काम, क्रोध आदि विकारों से लड़ना हो, चाहे संयम करना हो, कहीं भी पीछे नहीं रहते । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। । इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।  हमारा दूसरा पोस्ट पढ़ना ना भूले।



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कबीर वाणी 08 । Who are true heroes । सूर संग्राम को देखि भागे नहीं । शब्दार्थ, भावार्थ सहित  कबीर वाणी 08 । Who are true heroes । सूर संग्राम को देखि भागे नहीं ।  शब्दार्थ, भावार्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/29/2020 Rating: 5

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