'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
सन्तवाणी हमें आध्यात्मिक ज्ञान देती है , वह हमें कर्त्तव्य अकर्त्तव्य का बोध कराती है , वह हमें संसार में शान्तिपूर्वक जीवन जीने की कला से अवगत कराती है और वह हमें संसार - चक्र से सदा के लिए छूट जाने का उपाय भी बतलाती है । संतों की पद्यात्मक वाणियों का गायन करने से हमारे हृदय में भक्ति - भावना की भी जागृति होती है ।
संतवाणीयों का सही तात्पर्य समझना हमारे लिए आवश्यक है। नहीं तो हम पथभ्रष्ट भी हो सकते हैं और उसमें संतवाणी का हवाला भी दे सकते हैं। अतः संतवाणीयों का सही अर्थ समझाने के लिए टीकाकार ने जो अध्ययन, तपस्या, साधना और गुरु-भक्ति की है, उसके प्रकाश में इन्होंने जो संत वाणियों का मार्मिक अर्थ लिखा है, वह ग्रहणीय है।
आइए संत-भजनावली सटीक पुस्तक का संक्षिप्त परिचय प्राप्त करें।
संत-भजनावली सटीक
Book written by PujyaPad Laldas
पूज्यपाद छोटेलाल बाबा के संबंध में आदर्श संत शाही स्वामी जी महाराज के हृदयोद्गार-
श्रीशाही स्वामीजी
परमाराध्य सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंसजी महाराज के प्रमुख शिष्य पूज्यपाद श्रीशाही स्वामीजी महाराज के उन्मुक्त हदय की वाणी =मेरा विचार =
सद्गुरु की सार शिक्षा ' नाम्नी पुस्तक के लेखक श्रीछोटेलाल मंडलजी विद्यार्थी जीवन से ही इस महर्षि मेंही आश्रम , कुप्पाघाट में रह रहे हैं । ये आश्रम के शान्ति - संदेश - प्रेस में छपनेवाली पत्रिका तथा पुस्तकों के पूफ देखने का काम सेवा - भाव से करते आ रहे हैं । इनसे विशेष सहयोग पाकर कई लोग अपनी - अपनी लिखी पुस्तकें शुद्ध और अच्छे ढंग से छपा सके हैं । ये केवल डिग्री प्राप्त विद्वान् नहीं , बस्कि यथार्थ विद्वान् हैं । ये परमाराध्य श्रीसद्गुरु महाराज ( महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज ) के प्रिय सेवकों में से हैं । इनपर परमाराध्य को बहुत बड़ी कृपा है । इन्होंने जो यह ' सद्गुरु की सार शिक्षा ' नाम्नी पुस्तक लिखी है , परमाराध्य श्रीसद्गुरु महाराज की कृपा की प्रथम किरण है । इनके द्वारा इस प्रकार की बहुत - सी पुस्तकें लिखी जाएंगी , जिनसे लोग परमाराध्य श्रीसद्गुरु महाराज की विशेष कृपा के दर्शन करेंगे । परमाराध्य श्रीसद्गुरु महाराज आज स्थूल शरीर में नहीं हैं , अन्यथा वे इस पुस्तक को अपने कर - कमलों में लेकर जो प्रसन्नता व्यक्त करते , सब लोग उसके प्रत्यक्ष दर्शन करते । इस पुस्तक को समयाभाव के कारण मैं नमूने के तौर पर कुछ ही अंशों में देख सका हूँ । ...। इति । -शाही २४-१-१९ ८८ * इस पुस्तक के लेखक पहले अपना नाम ' छोटेलाल मंडल ' ही लिखते थे ।
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पुस्तक के विभिन्न पृष्ठों का अवलोकन
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LS44 संत-भजनावली सटीक । Accurate compilation of 160 verse words of 35 saints
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/29/2020
Rating: 5
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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