महर्षि मेंहीं पदावली / 75
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 75वां पद्य "जहां सूक्ष्म नाद ध्वनि आज्ञा।...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जहां सूक्ष्म नाद ध्वनि आज्ञा।..." में बताया गया है कि-परमात्मा की आवाज कहां सुनी जाती है? आज्ञाचक्र क्या है? आज्ञाचक्र को और क्या-क्या कहते हैं? ईश्वर की आवाज कैसी होती है? आदि बातों की विस्तृत जानकारी के साथ-साथ ईश्वर की आवाज कैसी होती है,आज्ञा चक्र का फड़कना,आज्ञा चक्र कैसे जाग्रत करें,आज्ञा चक्र ध्यान विधि,सहस्त्रार चक्र,सहस्रार चक्र,aagya chakra yun jagrit hota hai,आज्ञा चक्र वीडियो,आज्ञा चक्र के नुकसान, ईश्वर की आवाज,ईश्वर तो चीटींके पांवमें लगे घुंघरुकी भी आवाज सुन सकते हैं,ईश्वर तक प्रार्थना पहुँचाने का खास तरीका,आज्ञा चक्र अनुभूति,आज्ञा चक्र पावर,आज्ञा चक्र से वशीकरण,आज्ञा चक्र का रहस्य पर भी थोड़ा बहुत।
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ईश्वर की आवाज कहां सुनाई पड़ती है? पर प्रवचन करते गुरुदेव
Where is the voice of god?
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "उस आज्ञाचक्र केंद्रबिंदु में निवास करो, जहां सूक्ष्म नाद ब्रह्मांड में आ जाने की प्रभु-आज्ञा के शब्द के रूप में हो रहे हैं। सूक्ष्म-द्वार, सुखमन, तिल-खिड़की (तिल-द्वार, तीसरा तिल खिड़की) आदि कहलानेवाले उस आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु में वीरतापूर्वक प्रवेश करके पिंड और अंधकार मंडल को पार कर जाओ।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 75 और शब्दार्थ। आज्ञा चक्र।
पदावली भजन 75 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। आज्ञाचक्र वर्णन।
पदावली भजन 75 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त।
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महत्वपूर्ण नोट-
* Ajna - Wikipedia के अनुसार आज्ञा चक्र के निम्न नाम भी बताए गए हैं।
तंत्र : Ajita-पत्र, अजन-पुरा, अजन-पुरी, Ajnamhuja, Ajnapankaja, Bhru-मध्य, Bhru-मध्य-चक्र, Bhru-Madhyaga-पद्म, Bhru-मंडला, Bhru-मुला, Bhru-Saroruha, Dwidala, Dwidala -कमाला, द्विदालम्बुजा, द्विपत्र, ज्ञान-पद्म, नेत्र-पद्म, नेत्र-पितर, शिव-पद्म और त्रिवेणी-कमला।
वेदों Baindawa-sthāna, Bhru चक्र, Bhruyugamadhyabila, और Dwidala:।
पुराणों : Dwidala, और Trirasna।
* आज्ञाचक्र भौंहों के बीच माथे के केंद्र में स्थित होता है। यह भौतिक शरीर का हिस्सा नहीं है लेकिन इसे प्राणिक प्रणाली का हिस्सा माना जाता है। स्थान इसे एक पवित्र स्थान बनाता है जहां हिंदू इसके लिए श्रद्धा दिखाने के लिए सिंदूर लगाते हैं । अजना चक्र पीनियल ग्रंथि के अनुरूप है।
* आज्ञाचक्र तक पहुंचने के बहुत सारे मार्ग एवं ध्यान योग की विधियां या मेडिटेशन की परंपरा कई तरह के आचार्यों द्वारा कई तरह से बताई जाती है। लेकिन इस पद में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने जो विधि बताई है। वह सरल एवं निरापद है एवं गुरु-कृपा से जल्द ही सिद्ध होने वाली युक्ति है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 74 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि परमात्मा की आवाज कहां सुनी जाती है? आज्ञाचक्र क्या है? आज्ञाचक्र को और क्या-क्या कहते हैं? ईश्वर की आवाज कैसी होती है? आदि इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेंहीं पदावली..
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प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 75वां पद्य "जहां सूक्ष्म नाद ध्वनि आज्ञा।...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जहां सूक्ष्म नाद ध्वनि आज्ञा।..." में बताया गया है कि-परमात्मा की आवाज कहां सुनी जाती है? आज्ञाचक्र क्या है? आज्ञाचक्र को और क्या-क्या कहते हैं? ईश्वर की आवाज कैसी होती है? आदि बातों की विस्तृत जानकारी के साथ-साथ ईश्वर की आवाज कैसी होती है,आज्ञा चक्र का फड़कना,आज्ञा चक्र कैसे जाग्रत करें,आज्ञा चक्र ध्यान विधि,सहस्त्रार चक्र,सहस्रार चक्र,aagya chakra yun jagrit hota hai,आज्ञा चक्र वीडियो,आज्ञा चक्र के नुकसान, ईश्वर की आवाज,ईश्वर तो चीटींके पांवमें लगे घुंघरुकी भी आवाज सुन सकते हैं,ईश्वर तक प्रार्थना पहुँचाने का खास तरीका,आज्ञा चक्र अनुभूति,आज्ञा चक्र पावर,आज्ञा चक्र से वशीकरण,आज्ञा चक्र का रहस्य पर भी थोड़ा बहुत।
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Where is the voice of god?
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "उस आज्ञाचक्र केंद्रबिंदु में निवास करो, जहां सूक्ष्म नाद ब्रह्मांड में आ जाने की प्रभु-आज्ञा के शब्द के रूप में हो रहे हैं। सूक्ष्म-द्वार, सुखमन, तिल-खिड़की (तिल-द्वार, तीसरा तिल खिड़की) आदि कहलानेवाले उस आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु में वीरतापूर्वक प्रवेश करके पिंड और अंधकार मंडल को पार कर जाओ।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 75 और शब्दार्थ। आज्ञा चक्र। |
पदावली भजन 75 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। आज्ञाचक्र वर्णन। |
पदावली भजन 75 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त। |
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महत्वपूर्ण नोट-
* Ajna - Wikipedia के अनुसार आज्ञा चक्र के निम्न नाम भी बताए गए हैं।
तंत्र : Ajita-पत्र, अजन-पुरा, अजन-पुरी, Ajnamhuja, Ajnapankaja, Bhru-मध्य, Bhru-मध्य-चक्र, Bhru-Madhyaga-पद्म, Bhru-मंडला, Bhru-मुला, Bhru-Saroruha, Dwidala, Dwidala -कमाला, द्विदालम्बुजा, द्विपत्र, ज्ञान-पद्म, नेत्र-पद्म, नेत्र-पितर, शिव-पद्म और त्रिवेणी-कमला।
वेदों Baindawa-sthāna, Bhru चक्र, Bhruyugamadhyabila, और Dwidala:।
पुराणों : Dwidala, और Trirasna।
* आज्ञाचक्र भौंहों के बीच माथे के केंद्र में स्थित होता है। यह भौतिक शरीर का हिस्सा नहीं है लेकिन इसे प्राणिक प्रणाली का हिस्सा माना जाता है। स्थान इसे एक पवित्र स्थान बनाता है जहां हिंदू इसके लिए श्रद्धा दिखाने के लिए सिंदूर लगाते हैं । अजना चक्र पीनियल ग्रंथि के अनुरूप है।
* आज्ञाचक्र तक पहुंचने के बहुत सारे मार्ग एवं ध्यान योग की विधियां या मेडिटेशन की परंपरा कई तरह के आचार्यों द्वारा कई तरह से बताई जाती है। लेकिन इस पद में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने जो विधि बताई है। वह सरल एवं निरापद है एवं गुरु-कृपा से जल्द ही सिद्ध होने वाली युक्ति है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 74 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि परमात्मा की आवाज कहां सुनी जाती है? आज्ञाचक्र क्या है? आज्ञाचक्र को और क्या-क्या कहते हैं? ईश्वर की आवाज कैसी होती है? आदि इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
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P75, Where is the voice of god? "जहां सूक्ष्म नाद ध्वनि आज्ञा।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/17/2020
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नमन...महाराज श्री चरण स्पर्श मुझे दीक्षा लेनी है कृपया आपका संपर्क सूत्र उपलब्ध कराएं.. प्रणाम
जवाब देंहटाएंजय गुरु महाराज आप महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर बिहार पधारे वहीं पर दीक्षा का कार्यक्रम होता है अथवा संतमत सत्संग का जहां कार्यक्रम होता है वहां भी दीक्षा मिल सकता है लेकिन वह निश्चित नहीं है
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