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P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।।

महर्षि मेंहीं पदावली / 126

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 126वां पद्य  "छन छन पल पल, समय सिरावे,....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे  पूज्यपाद लालदास जी महाराज,  पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और  पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "यहि मानुष देह समैया में,..." में बताया गया है कि- देव-दुर्लभ मनुष्य-शरीर है। इसका सदुपयोग क्या है। मनुष्य शरीर में मिले समय के छन-छन पल-पल को किस तरह प्रयोग करना चाहिए? इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, मनुष्य-शरीर का सदुपयोग,मानव शरीर इन हिंदी,मनुष्य के शरीर के किस अंग से ईश्वर-भक्ति होता है,मानव शरीर सही उपयोग क्या है,हमारा शरीर,शरीर क्या है,शारीरिक संरचना,मानव विकिपीडिया,देव दुर्लभ मनुष्य शरीर,सबसे दुर्लभ शरीर कौन सा है,देवी देवता भी मनुष्य जन्म के लिए लालायित है,क्या तुम मात्र एक शरीर हो, मनुष्य शरीर इतना दुर्लभ।

इस पद्य के  पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए  

P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। देव दुर्लभ शरीर में समय का सदुपयोग पर चर्चा।
देव दुर्लभ मनुष्य शरीर में समय का सदुपयोग पर चर्चा ।



Best use of human body

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- "छन-छन, पल-पल समय बीतता जा रहा है। यह देव-दुर्लभ मानव-तन जिसमें रहकर ईश्वर-भक्ति के द्वारा आवागमन के चक्र से छुटकारा पाया जा सकता है, छूट जाएगा, तो फिर प्राप्त होना कठिन है।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-

P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। पदावली भजन नंबर 126 और शब्दार्थ।
पदावली भजन नंबर 126 और  शब्दार्थ।

P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। पदावली भजन नंबर 126 का भावार्थ और टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 126 का भावार्थ और टिप्पणी।
 पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। देव दुर्लभ मनुष्य शरीर का सदुपयोग।
देव दुर्लभ मनुष्य शरीर का सदुपयोग।

P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। ध्यान में दर्शित होने वाले दृश्य का वर्णन।
ध्यान में दर्शित होने वाले दृश्य का वर्णन।
 पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। मनुष्य शरीर देव दुर्लभ क्यों है?
मनुष्य शरीर देव दुर्लभ क्यों है?
P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। संतवाणी और श्रीमद्भागवत में ध्यान योग।
संतवाणी और श्रीमद्भागवत में ध्यान योग।

इस भजन के  बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 126 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि देव-दुर्लभ मनुष्य-शरीर है। इसका सदुपयोग क्या है। मनुष्य शरीर में मिले समय के छन-छन पल-पल को किस तरह प्रयोग करना चाहिए? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
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P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। P126, Best use of human body "छन छन पल पल, समय सिरावे,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/05/2020 Rating: 5

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