LS05 संतवाणी-सुधा सटीक || 39 संतों के सटीक वाणियों में आत्मकल्याण, जनकल्याण, विश्व-शांति का उपाय इत्यादि है।

संतवाणी - सुधा सटीक एकं परिचय

    प्रभु प्रेमियों  !  "संतवाणी - सुधा सटीक" 'सत्संग- योग' के दूसरे भाग की उन बची हुई संतवाणियों की टीका पुस्तक है जिसका वर्णन संतवाणी सटीक पुस्तक में नहीं है। इसमें 39 संतों के वाणियों का संग्रह और उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है।  यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो संतों के विचारों और शिक्षाओं को गहराई से समझना चाहते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना और संतों द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। यह ग्रंथ आध्यात्मिक साधकों और संतों की शिक्षाओं में रुचि रखने वालों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शिका है। आइये पुस्तक का संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करें--

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संतवाणी-सुधा सटीक
संतवाणी-सुधा सटीक

संतवाणी-सुधा सटीक  पुस्तक परिचय में क्या है? 

     प्रभु प्रेमियों !  'संतवाणी-सुधा सटीक' :  नाम्नी इस पुस्तक में टीकाकार ने मूल पद्य के नीचे क्रमश : शब्दार्थ , भावार्थ और कहीं - कहीं टिप्पणी भी दी है । उन्होंने आवश्यक समझकर कहीं - कहीं भावार्थ के बीच - बीच भी कोष्ठान्तर्गत टिप्पणी दी है । ऐसा कहना चाहिए कि टीकाकार ने शब्दार्थ , भावार्थ और टिप्पणी द्वारा पद्यार्थ को पूरी तरह स्पष्ट करने का प्रयास किया है । उनका यह प्रयास संतवाणी और सद्गुरुदेवजी महाराज के ज्ञान - विचार के संदर्भ में हुआ है । टीकाकार ने कहीं - कहीं किन्हीं सन्त के पद्य और पद्य में आये शब्द के अर्थ को उन्हीं संत की अन्य वाणी अथवा अन्य संत की वाणी के प्रमाण द्वारा संपुष्ट किया है । पुस्तक में कहीं - कहीं सन्तवाणी का पाठान्तर भी दे दिया गया है । पाठकों की अर्थ समझने की सुविधा के लिए वैष्णव साधु श्रीइन्द्रनारायण दासजी और रामानन्दी साधु श्रीसुतीक्ष्ण दासजी द्वारा लिखाये गये ' शब्दों में से प्रत्येक को खंडों में बाँटकर उनका अर्थ दिया गया है ।         पुस्तक के आरंभ में महायोगी श्रीगोरखनाथजी महाराज और अन्त में बाबा किनारामजी तथा सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की वाणियाँ दी गई हैं , यद्यपि वे ' सत्संग - योग ' के दूसरे भाग में नहीं हैं , तथापि सत्संग - प्रेमियों के लाभार्थ दे दी गई हैं ।       संतों का विचार क्या है? संतों के विचारों में कितनी गंभीरता , कितनी मजबूती और कितनी एकता है ?- यदि आपको यह जाननी हो , तो ‘ सत्संग - योग ' के दूसरे भाग में संकलित संतवाणियों की ' संतवाणी - सुधा सटीक ' नाम्नी यह टीका - पुस्तक अवश्य पढ़ें । इस पुस्तक को पढ़े बिना आप संतों के वास्तविक ज्ञान से सदा वंचित ही रहेंगे । प्रत्येक जागरूक सत्संगी को इस पुस्तक का जीवन में एक बार भी अवश्य अवलोकन करना चाहिए ।    आइये इसके कुछ चित्र देखें-


संतवाणी-सुधा सटीक 0 1
संतवाणी-सुधा सटीक 01

संतवाणी-सुधा सटीक 02
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संतवाणी-सुधा सटीक 03
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संतवाणी-सुधा सटीक 04
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संतवाणी-सुधा सटीक 06
संतवाणी-सुधा सटीक 06

संतवाणी-सुधा सटीक 07
संतवाणी-सुधा सटीक 07
संतवाणी-सुधा सटीक 08
संतवाणी-सुधा सटीक 08

संतवाणी-सुधा सटीक 09
संतवाणी-सुधा सटीक 09

संतवाणी-सुधा सटीक 10
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संतवाणी-सुधा सटीक 11
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प्रेरक शब्दावली





संतवाणी-सुधा सटीक     

    विषय सूची


महायोगी गोरखनाथ जी महाराज
   १.  अति अहार यंद्री बल करें

संत कबीर साहब
   १.     २.   ३.  सत्संग का अंग,   ४.   ५.   ६. भक्ति को अंग

 संत रैदासजी

 संत कमाल साहब

 धनी धर्मदासजी

 गुरु नानक साहब

   १. काहे रे बन खोज जाई....  

 बाबा बीचन्दजी

 सन्त दादू दयाल साहब

 सन्त चरणदासजी

 परम भक्तिन सहजोबाई

 सन्त दरिया साहब ( बिहारी )

 सन्त दरिया साहब ( मारवाड़ी )

 सन्त केशवदासजी

 बाबा घरनीदासजी

 सन्त जगजीवन साहब

 सन्त पलटू साहब

 सन्त गरीबदासजी

 सन्त यारी साहब

 सन्त दूलनदासजी

 सन्त बुल्ला साहब

 सन्त गुलाल साहब

 सन्त सुन्दरदासजी ( छोटे )

 परमहंस लक्ष्मीपतिजी महाराज

 श्रीशिवनारायण स्वामीजी

 गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज

 भक्तप्रवर सूरदासजी महाराज

   १. मो सम कौन कुटिल खल कामी २. तुम तजि और कौन पै जाऊँ,  ३. सब दिन होत न एक समान, ३. तुम मेरी राखो लाज हरी । ४.  छाँड़ि मन हरि बिमुखन को संग , ५. मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै,  ६. सबसों ऊँची प्रेम सगाई,  ७. झूठेही लगि जनम गँवायौ, ८. अविगत गति कछु कहत न आवै, ९. जा दिन सन्त पाहुने आवत, १०. अपुनपौ आपुन ही विसर्यो, ११. अपुनपौं आपुन ही में पायो १२. अबके माधव मोहि उधारि। १३. जा दिन मन पंछी उडि जैंहैं। १४. 
 श्री देवतीर्थ स्वामी ( श्रीकाष्ठ - जिहा स्वामी) जी 
    
श्रीइन्द्रनारायण दासजी का लिखाया रामरक्षास्तोत्रम् 

श्रीसुतीक्ष्ण दास रामानन्दी साधु से लिखाया शब्द

कविरजन श्रीरामप्रसाद सेनजी

 सन्त तुलसी साहब ( हाथरसवाले )

 श्रीसूर स्वामीजी

 संत राधास्वामी साहब

 परम भक्तिन मीराबाई

 साधु श्रीमानपुरीजी

 राजयोगी श्रीटीकारामनाथजी महाराज

 जैनयोगी श्रीआनन्दघनजी

 बाबा किनारामजी

 महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज 

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     LS06 . संत-वचनावली सटीक :  Sant Vachnawali Satik  लालदास साहित्य सीरीज की छठी पुस्तक है, जिसमें 35 संतों की 217 वाणियों का सटीक संग्रह है। इन वाणियों में ईश्वर-भक्ति, साधना, योग, सद्गगुरु, आध्यात्मिक दर्शन, सत्संग इत्यादि विषयों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक 'महर्षि मेँहीँ सत्साहित्य-प्रकाशन-समिति', संतनगर, बरारी, भागलपुर-३ (बिहार) द्वारा प्रकाशित की गई है। यह उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भारतीय संत परंपरा और उनके दार्शनिक विचारों को गहराई से समझना चाहते हैं। संतो के आपसी मतभेद को दूर कर शांतिपूर्वक जीवन जीना चाहते हैं और आपसी भाईचारा को बढ़ावा देना चाहते हैं। आप इस पुस्तक को सत्संग ध्यान की आधिकारिक वेबसाइट या प्रमुख ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे कि सत्संग ध्यान स्टोर से खरीद सकते हैं।   ( ज्यादा जाने  ) 

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