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सूरदास 19, Benefit from saint darshan ।। जा दिन सन्त पाहुने आवत ।। भजन भावार्थ सहित । -स्वामी लालदास।

संत सूरदास की वाणी  / 19

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज प्रमाणित करते हुए "संतवाणी सटीक"  भारती (हिंदी) पुस्तक में लिखते हैं कि सभी संतों का मत एक है। इसके प्रमाण स्वरूप बहुत से संतों की वाणीओं का संग्रह कर उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया हैं। इसके अतिरिक्त भी "सत्संग योग" और अन्य पुस्तकों में संतवाणीयों का संग्रह है। जिसका टीकाकरण पूज्यपाद लालदास जी महाराज और अन्य टीकाकारों ने किया है। यहां "संतवाणी-सुधा सटीक" में प्रकाशित भक्त  सूरदास जी महाराज  की वाणी "जा दिन सन्त पाहुने आवत,...'  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणियों को पढेंगे। 

इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) "जा दिन सन्त पाहुने आवत । ,..." में बताया गया है कि-   संत. दर्शन. से. लाभ. साधु-संतों का जब हम दर्शन करते हैं तो वे हमें कुछ व्रत नियम लेने की प्रेरणा देते हैं ।  संत ज्ञान की खान होते हैं, इनसे जितना ले सको, ले लेना, फिर क्यों उनके दर्शन लाभ से वंचित रहा जाए?  धर्म और दर्शन के मूल तत्व का उपदेश करने की संता से प्रार्थना करना चाहिए। कबहु दर्शन पाय हैं चरण - कमल की सेव। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- क्या प्राप्त होता है संत दर्शन और सत्संग से, Rishi Darshan, संत दर्शन व सत्संग का लाभ लेते रहना चाहिए, संत दर्शन क्यों और कैसे करे कब करे,संत दर्शन क्यों करें, दर्शन-प्रवचन-सेवा का लाभ, संत ज्ञान की खान होते हैं,       इत्यादि बातों को समझने के पहले, आइए ! भक्त सूरदास जी महाराज का दर्शन करें। 

इस भजन के पहले वाले पद्य  "अविगत गति कछु कहत न आवै," को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए  यहां दबाएं।

जा दिन सन्त पाहुने आवत भजन गाते हुए भक्त सूरदास जी महाराज और    टीका कार- स्वामी लालदास।
जा दिन सन्त पाहुने आवत

Benefit from saint darshan

भक्त सूरदास जी महाराज कहते हैं कि " किसी के घर जिस दिन संत अभ्यागत के रूप में आते हैं , उस दिन उन संत के दर्शन से ही वह करोड़ों तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त कर लेता है ।..."   इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-

भक्त सूरदास जी महाराज की वाणी ॥राग केदारा ॥

 ।। मूल पद्य ।।

जा दिन सन्त पाहुने आवत ।
 तीरथ कोटि अन्हान करे फल , दरसन ते ही पावत ।।
 नेह नयो दिन दिन प्रति उनको , चरन कमल चित लावत । मन वच कर्म और नहिं जानत, सुमिरत औ सुमिरावत ॥ मिथ्यावाद उपाधि - रहित है , विमल विमल जस गावत । बन्धन कठिन कर्म जो पहिले , सोऊ काटि बहावत ॥ संगति रहै साधु को अनुदिन , भव दुख दूरि नसावत । सूरदास या जनम मरण तें , तुरत परम गति पावत ।। 

शब्दार्थ - पाहुने अतिथि , मेहमान , अभ्यागत । कोटि - करोड़ों । अन्हान - स्नान । ते - से । नेह - स्नेह , प्रेम । मिथ्यावाद - झूठ बोलना , झूठा विचार , झूठा या व्यर्थ का वाद - विवाद , पाखंड । उपाधि - झगड़ा , झंझट , कलह , कपट । विमल - पवित्र । सोऊ - वह भी । अनुदिन - प्रतिदिन । भव दुख - संसार का दुख , जन्म - मरण का कष्ट । परम गति - परम मोक्ष ।

भावार्थ - किसी के घर जिस दिन संत अभ्यागत के रूप में आते हैं , उस दिन उन संत के दर्शन से ही वह करोड़ों तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त कर लेता है ।। संत के चरण - कमलों में चित्त लगाने से परमात्मा के प्रति दिनोंदिन नया - नया प्रेम बढ़ता जाता है । संत मन , वचन और कर्म से और कुछ नहीं जानते - केवल परमात्मा के नाम का सुमिरन करना जानते हैं और दूसरों से भी कराना जानते हैं । वे मिथ्या भाषण ( व्यर्थ के वाद - विवाद या पाखंड ) और झगड़े - झंझट से अलग रहकर भगवान् के पवित्र यश का गान करते हैं । पहले के कई जन्मों के कर्मों के जो कठिन बंधन होते हैं , उन्हें भी वे काटकर दूर बहा देते हैं । प्रतिदिन साधु - संतों की संगति मिले , तो इससे संसार के दुःख दूर हो जाते हैं - नष्ट हो जाते हैं । संत सूरदासजी महाराज कहते हैं कि साधु - संतों की संगति करने से जन्म - मरण के चक्र से जल्द ही छुटकारा मिल जाता है ।। इति।।

इस भजन के पहले वाले पद्य  "अपुनपौ आपुन ही विसर्यो," को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए  यहां दबाएं।

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संत-भजनावली सटीक" के इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि संत ज्ञान की खान होते हैं, इनसे जितना ले सको, ले लेना, फिर क्यों उनके दर्शन लाभ से वंचित रहा जाए?  धर्म और दर्शन के मूल तत्व का उपदेश करने की संता से प्रार्थना करना चाहिए। कबहु दर्शन पाय हैं चरण - कमल की सेव।   इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




भक्त-सूरदास की वाणी भावार्थ सहित

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सूरदास 19, Benefit from saint darshan ।। जा दिन सन्त पाहुने आवत ।। भजन भावार्थ सहित । -स्वामी लालदास। सूरदास 19,  Benefit from saint darshan ।। जा दिन सन्त पाहुने आवत ।। भजन भावार्थ सहित ।  -स्वामी लालदास। Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/04/2020 Rating: 5

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