संत पलटू साहब की वाणी / 03
पिया है प्रेम का प्याला... संतों की मदिरा पान कैसा होता है ?
( 3 )
भावार्थ- मैंने प्रभु प्रेमरूपी मदिरा का प्याला पिया है . इसीलिए मेरा मन मतवाला हो गया है ॥ १ ॥ हे भाई ! अब मेरा हृदय होश में आ गया है अर्थात् अचेतता दूर होकर अब मेरे हृदय में सचेतता आ गयी है । पान की हुई प्रभु - प्रेमरूपी मदिरा के नशे में चूर होकर मैंने बाहरी संसार की सुध खो दी है ॥ २ ॥ दशम द्वार में दिखलायी पड़नेवाले ज्योतिर्मय विन्दु पर मैं प्रतिष्ठित हुआ , तो मैंने पाया कि उसपर विविध प्रकार की असंख्य ध्वनियाँ हो रही हैं । बाहरी संसार की ओर से अपने ख्यालों को हटाकर अंतर्मुख होने पर ही मैंने ब्रह्मांडी लीलाओं के देखने - सुनने का आनंद पाया ॥३ ॥ दृष्टियोग ( विन्दु ध्यान ) पूरा करके शब्दयोग किया । शब्दयोग पूरा करने पर आत्मस्वरूप का प्रत्यक्षीकरण हुआ ॥४ ॥ आत्मस्वरूप के साक्षात्कार के बाद परमात्मा का भी साक्षात्कार हुआ । परमात्मा में वायु की तरह रूप की विहीनता है अर्थात् परमात्मा वायु की तरह रूप - रहित है ॥५ ॥ यह सारा संसार उसी परमात्मा की रचना है । संत पलटू साहब कहते हैं कि वह परमात्मा सबसे निराला है ॥६ ॥∆
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भजन संग्रह अर्थ सहित पुस्तक में उपरोक्त वाणी निम्न चित्र की भांति प्रकाशित है-
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "भजन संग्रह" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि मदिरा क्या है? मदिरा का पर्यायवाची शब्द, आयुर्वेद में कितने तरह की मदिरा का वर्णन है, Madirā word origin, Madira meaning in Santmat, Madira in ancient India, Madira in Hindi, रस दारू एवं कठोर दारू में अंतर बताइए wikipedia, मदिरा का मुख्य घटक है, वारुणी देवी, Madira rum, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
संतवाणी सटीक |
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