महर्षि मेंहीं पदावली / 137
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 137वां पद्य "मास आसिन जगत बासिन,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat बारहमासा बिरहा भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जीवो! परम पिता निज चीन्हों,..." में बताया गया है कि- सामाजिक व्यवस्था के कारण ही लोग हर तरह से दुखी हो रहे हैं। परमपिता की जानकारी कैसे होगी? हम लोग हर तरह से सुखी कैसे हो सकते हैं। वास्तविक और सच्चा सुख का रहस्य क्या है?महर्षि मेंहीं पदावली,भजन अर्थ सहित,कुप्पाघाट का भजन,मास आसिन जगत बासिन, बारहमासा, गुरु महाराज का भजन अर्थ सहित, संतवाणी सटीक,बारहमासा हिंदी में,बारहमासा की परिभाषा,बारहमासा poem,बारहमासी भजन,बारहमासी बिरहा आदि बातें।
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Characteristic of social order
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे संसार में रहने वाले लोगो ! मन में होस लाओ। तुम्हारे जीवन की अवधि थोड़ी है; संसार में बेखबर क्यों हो रहे हो ! संसार को अपने अनुकूल बनाने की लोगों ने बहुत कोशिश की; परंतु यह कभी किसी के अनुकूल नहीं हो सका । जिसने प्रयत्न करके इसका परित्याग कर दिया, उसी ने वास्तविक सुख शांति प्राप्त की।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि सामाजिक व्यवस्था के कारण ही लोग हर तरह से दुखी हो रहे हैं। परमपिता की जानकारी कैसे होगी? हम लोग हर तरह से सुखी कैसे हो सकते हैं। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P137, Characteristic of social order "मास आसिन जगत बासिन,.." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/03/2020
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