महर्षि मेंहीं पदावली / 139
ईश्वर के निर्गुण निराकार रूप की आरती
सिमटी हुई दृष्टि - धार को सामने स्थिर करने पर अत्यन्त छोटा ज्योतिर्मय विन्दु आएगा । ज्योतिर्मय विन्दु के साथ - साथ और भी अलौकिक प्रकाश के अनेक रंग रूप देखने में आएंगे ॥२ ॥
रूप ब्रह्मांड ( सूक्ष्म जगत् ) विभिन्न रंगों की ज्योतियों और ज्योति रूपों से सतत प्रकाशित ( शोभायमान ) हो रहा है । उन विभिन्न रंगों की ज्योतियों और ज्योति रूपों के बीच सामने ज्योतिर्मय विन्दु का ध्यान करते ज्योति मंडल का परित्याग कर दीजिये ॥३ ॥
दृष्टियोग से सुरत शब्द - योग आसान है सुरत शब्द योग का बारंबार ( तत्परतापूर्वक ) अभ्यास करके अनहद ध्वनियों के बीच सारशब्द को पकड़ लीजिये ॥४ ॥
दृष्टियोग और शब्दयोग - इन दोनों युक्तियों से शरीररूपी किले ( जेल - रूपी शरीर अर्थात् दृढ़ बंधन रूप शरीर ) का त्याग करके आवागमन के चक्र को , अज्ञानता ( आत्मज्ञान - विहीनता ) को , द्वैतता ( अपने और परमात्मा के बीच बने हुए अंतर ) को और सभी मनोविकारों को नष्ट कर डालिये ।।५ ।।
इस तरह की जानेवाली आरती ( उपासना ) जड़ावरणों से छुड़ाकर निर्मल करनेवाली ( शुद्ध स्वरूप में प्रतिष्ठित करनेवाली ) और जन्म - मरण के चक्र से छुड़ानेवाली है । सद्गुरु महर्षि में ही परमहंसजी महाराज कहते हैं कि ऐसी आरती करके अमृत रस पीजिये अर्थात् अविनाशी आनन्द ( परमात्मा का आनन्द ) प्राप्त कीजिये ।।६ ।।
२. १३९वें पद्य का प्रथम चरण चौपाई के दो चरणों से मिलकर बना हुआ है और नीचे के प्रत्येक चरण ३२ मात्राएँ हैं ; १६-१६ पर यति और अन्त में।
प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेंही पदावली के पद संख्या 139 वां, जो संतमत सत्संग के तीनों समय में गाए जाने वाली आरती का अभिन्न अंग है और सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज द्वारा रचित है। उसीका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी यहां दिया जा रहा है। इसे पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि निर्गुण निराकार रूप की आरती कैसे की जाती है। |
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आरती चित्र एक |
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शब्दार्थ भावार्थ आरती का |
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शब्दार्थ भावार्थ टिप्पणी |
प्रभु प्रेमियों ! उपर्युक्त चित्रों से गुरु महाराज द्वारा रचित आरती के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी को पढ़कर आप इस पद को अच्छी तरह समझ गए होंगे। ऐसी मैं आशा करता हूं। इसके बावजूद अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका है, तो हमें कमेंट करें। हम गुरु महाराज के वचनों द्वारा ही आपके शंकाओं का समाधान करना चाहेंगे। संतमत सत्संग की आरती कैसे की गायी जाती है। इसके लिए आप निम्नलिखित वीडियो देखें।
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महर्षि मेंहीं पदावली.. |
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